दो गुना हो जाएगी बिजली की पैदावार पीडीपीयू के सीईजीई के प्रमुख प्रो.अनिरबिद सिरकार ने बताया कि इस सौर ऊर्जा-भूतापीय ऊर्जा के समन्वय वाले नए मॉडल की मदद से प्रति घंटे 35 से 40 किलोवॉट तक बिजली पैदा की जा सकती है। अभी जियोथर्मल एनर्जी की मदद से प्रति घंटे 20 किलोवॉट की बिजली धोलेरा स्वामीनारायण मंदिर के पास पैदा की जा रही है।
यूं काम करेगा नया मॉडल सीईजीई टीम ने इसके लिए पैराबोलिक थ्रू कलक्टर बायोमॉडल(पीटीसी) तैयार किया है। जिसके तहत मौजूदा प्लांट को दो हिस्सों (लूप्स) में विभाजित कर दिया जाएगा। एक हिस्से में मौजूदा भूतापीय ऊर्जा वाले गर्म पानी (जमीन से मिलने वाले गर्म पानी) को हीट पंप से और गर्म किया जाता है वह कार्य जारी रहेगा और दूसरे हिस्से में पैराबोलिक थ्रू कलक्टर (पीटीसी) को ऑर्गेनिक रेनकिन सायकल (ओआरसी) से जोड़ दिया जाएगा। जहां भूतापीय कुए से निकलने वाले 45-50 डिग्री सेल्सियस तक के गर्म पानी को पीटीसी से गुजारा जाएगा जो उसके तापमान को 80 डिग्री तक गर्म करके ओआरसी में भेजेगा, जहां से बिजली पैदा होगी।