हाथों में पोस्टर बैनर लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को झड़प भी हुई। बाद में पुलिसकर्मियों ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। कार्रवाई के बाद नेताओं और कार्यकर्ताओं छोड़ दिया गया। उन्होंने भाजपा सरकार पर राष्ट्रीय नेताओं, और पूर्व भारतीय सुरक्षा बल के अधिकारियों, विपक्ष के नेता, पत्रकार और वकीलों के फोन गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से हैक कर जासूसी करने के आरोप लगाए।
ज्ञापन में कहा गया है कि इस्राइल कंपनी के इस सॉफ्टवेयर के जरिए विपक्षी नेताओं, सत्ता पार्टियों के नेताओं, शीर्ष पत्रकारों, मानव अधिकार एक्टीविस्ट के अलावा 300 से ज्यादा लोगों के फोन हैक किए गए। यह स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन है। राजनीतिक प्रक्रिया से खिलवाड़ है। गुजरात में वर्ष 2017 और 2020 के राज्यसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस और भाजपा के शीर्ष नेताओं के फोन हैक कर जासूसी कराए जाने की आशंका है।
उन्होंने मांग की है कि गैर संवैधानिक तरीके से महानुभावों के फोन टैपिंग मामले की सच्चाई सामने आनी चाहिए। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से माफी मांगनी चाहिए। गृहमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार कर अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। ऐसे गैर संवैधानिक और गैरकानूनी कृत्य में लिप्त जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई हो। इसके लिए इसमामले की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से जांच कराई जानी चाहिए।