पालीताणा में जन्मे महेशभाई उपाध्याय (67) पिछले 60 वर्षों से सुरेन्द्रनगर जिले के चूडा में रह रहे हैं। प्रकृति के साथ प्रेम करने वाले महेशभाई ने पिछले 13 वर्षों में अपने घर पर विविध प्रजाति के 1000 से अधिक पौधे उगाए। इन पौधों को सार संभाल के बाद एक-एक कर सार्वजनिक जगहों पर लगाए जा चुके हैं। वे श्मशान घाट, स्कूल आदि में इन पौधों को निस्वार्थ भाव से लगा रहे हैं। महेशभाई ने वर्ष 2007 से पौधे उगाने शुरू किए थे। अपने घर में ही 125 गमले लगाकर अलग-अलग पौधे उगाते हैं। ये पौधे जैसे ही बड़े होते हैं उन्हें सार्वजनिक जगहों पर लगा दिया जाता है। गमले के खाली होने पर दूसरे पेड़ उगाए जाते हैं। इस तरह से अब तक एक हजार से अधिक पौधे सार्वजनिक जगहों पर लगा कर बड़े किए जा चुके हैं।
महेशभाई ने बताया कि उन्हें बचपन से ही पौधों से लगाव रहा है। जिस तरह से महेशभाई घर में पौधे लगाते हैं उसी तरह से उनके चार मित्र भी पौधे लगाकर बाहर रोपने लग गए हैं। उनका कहना है कि पर्यावरण को बनाए रखने के लिए पौधों का होना जरूरी है।
महेशभाई ने बताया कि उन्हें बचपन से ही पौधों से लगाव रहा है। जिस तरह से महेशभाई घर में पौधे लगाते हैं उसी तरह से उनके चार मित्र भी पौधे लगाकर बाहर रोपने लग गए हैं। उनका कहना है कि पर्यावरण को बनाए रखने के लिए पौधों का होना जरूरी है।
कोई नहीं हुआ कोरोना संक्रमित
महेशभाई के पुत्र त्रिलोक ने बताया कि इन दिनों कोरोना महामारी का प्रकोप है। ऐसे में लोग ऑक्सीजन के लिए दौड़धाम कर रहे हैं लेकिन उनके घर में अभी तक कोई भी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है। इतना ही नहीं घर में किसी तरह की दवाइयों की भी जरूरत नहीं होती है। इसका कारण वे घर में पेड़ पौधों से अनुकूल वातावरण बताते हैं। घर में पौधे होने से एसी की जरूरत भी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि हर दिन दो घंटे के जतन से यह सब संभव हो जाता है।
महेशभाई के पुत्र त्रिलोक ने बताया कि इन दिनों कोरोना महामारी का प्रकोप है। ऐसे में लोग ऑक्सीजन के लिए दौड़धाम कर रहे हैं लेकिन उनके घर में अभी तक कोई भी कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है। इतना ही नहीं घर में किसी तरह की दवाइयों की भी जरूरत नहीं होती है। इसका कारण वे घर में पेड़ पौधों से अनुकूल वातावरण बताते हैं। घर में पौधे होने से एसी की जरूरत भी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि हर दिन दो घंटे के जतन से यह सब संभव हो जाता है।