अहमदाबाद मंडल के वरिष्ठ मंडल अभियंता (गृह प्रबंधन) फेड्रिक पेरियत ने बताया कि प्लास्टिक ऐसा पदार्थ है जो जल्दी नष्ट नहीं होता। ऐसे में ट्रेन या रेल परिसर में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेन्ट के जरिए प्लास्टिक कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है। अहमदाबाद समेत अन्य रेलवे स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीन लगाई गई हैं, जहां इन बोतलों का क्रशिंग होता है। बाद में इसके जरिए प्लास्टिक दाने और उसमें से प्लास्टिक के उत्पाद बनाए जा सकते हैं। मौजूदा समय में एक कंपनी के जरिए प्लास्टिक बोतलों के दानों से नेपकीन, चद्दर, तकिया कवर, और टी शर्ट बनवाए गए हैं, जिसमें 33 फीसदी कोटन और 67 फीसदी प्लास्टिक दानों का इस्तेमाल हुआ है। ये चद्दर, तकिया कवर और नेपकीन रेलयात्री भी उपयोग कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि गांधीधाम रेलवे स्टेशन पर भी प्लास्टिक बोतल श्रेडिंग मशीन लगाई गई हैं। साथ ही पीले रंग के कूड़ेदान उपलब्ध कराए हैं, ताकि प्लास्टिक कूड़ा अलग किया जा सके। वहीं मल्टी लेयर्ड प्लास्टिक से न सिर्फ सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है बल्कि उसे नष्ट करना भी जटिल होता है। ऐसे प्लास्टिक को अलग एकत्र किया जाता है और बाद मेंं उसे एक निजी कंपनी को भेजा जाता है जो प्लास्टिक का रिसाइकिल करती है। वे बताते हैं कि फिलहाल इस निजी कंपनी ने गांधीधाम स्टेशन के कोन्कोर हॉल में प्लास्टिक से बने उत्पादों की गैलरी लगाई है। उन्होंने दावा है कि भारतीय रेलवे में ऐसी पहली प्लास्टिक मैनेजमेन्ट गैलरी हैं, जो पूर्णत: प्लास्टिक प्रबंधन को बताती है।