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Ahmedabad News : अहमदाबाद में जहरीले कोरोना वायरस का स्ट्रेन बन रहा मौतों का कारण

locationअहमदाबादPublished: Apr 27, 2020 05:20:30 pm

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

अध्ययन व परीक्षण जरूरीमल्टीऑर्गन फेल्योर से बचाव के लिए मधुमेह, रक्तचाप, हृदयरोग, फैफड़ों की बीमारी से पीडि़त लोग शंका होने पर तुरंत पहुंचें अस्पताल

Ahmedabad News : अहमदाबाद में जहरीले कोरोना वायरस का स्ट्रेन बन रहा मौतों का कारण

डॉ. श्रवण बोहरा।,डॉ. श्रवण बोहरा।,डॉ. श्रवण बोहरा।

अहमदाबाद. अहमदाबाद में जहरीले कोरोना वायरस के स्ट्रेन के कारण कोरोना पॉजिटिव रोगियों की अधिक संख्या में मौतें हो रही हैं। इनमें मधुमेह, रक्तचाप, हृदयरोग, फैफड़ों की बीमारी से पीडि़त लोगों की मौतें अधिक हुई हैं। इसलिए ऐसी बीमारियों से पीडि़तों को शंका होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचना चाहिए और चिकित्सकों से परामर्श लेकर निदान व उपचार करवाना चाहिए।
एक निजी अस्पताल के गेस्ट्रोइन्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. श्रवण बोहरा के अनुसार अन्य राज्यों व शहरों के मुकाबले अहमदाबाद के हालात अलग प्रकार के हैं। यहां मधुमेह, रक्तचाप, हृदयरोग, फैफड़ों की बीमारी (विशेषतौर पर न्यूमोनिया) से पीडि़त लोगों की संख्या अन्य राज्यों व शहरों मेंं रहने वाले इन बीमारियों से पीडि़तोंं के मुकाबले काफी अधिक है। वैसे भी ऐसे रोगियों को कोरोना पॉजिटिव होने और इससे मौत का खतरा अधिक रहता है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के 10-15 स्ट्रेन होते हैं। एक स्ट्रेन से कोरोना पॉजिटिव रोगी की मौत का खतरा कम होता है, दूसरे स्ट्रेन से कोरोना पॉजिटिव रोगी की मौत का खतरा पहले वाले स्ट्रेन से अधिक हो सकता है। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में कोरोना वायरस जहरीले स्ट्रेन वाला है, इससे मौतें अधिक हो रही हैं। यह वायरस ऐसी बीमारियों से पीडि़त रोगियों को जल्दी अपनी चपेट में ले रहा है।
उन्होंने कहा कि कोरोना पॉजिटिव रोगियों को न्यूमोनिया होता है, यह वायरस फैफड़ों में पहुंचकर सूजन करता है, फिर फैफड़ों में पानी भरता है और फिर फैफड़े काम करना बंद करने लगते हैं। उसके बाद रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है, हृदय पर असर पडऩे लगता है, ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। रक्तचाप कम होने से पेशाब बंद होता है और इन सबसे मल्टी ऑर्गन फेल्योर होता है।
उन्होंने कहा कि चीन के वुहान और इंदौर में भी कोरोना पॉजिटिव रोगियों की बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं। वहां का भी कोरोना वायरस का स्ट्रेन अलग प्रकार का है। स्पेन और इटली में भी ज्यादा जहरीले स्ट्रेन के कारण 12-12 प्रतिशत रोगियों की मौत हुई है, जबकि अहमदाबाद में मात्र साढ़े 4 प्रतिशत रोगियों की मौत हुई है। जहरीले स्ट्रेन वाला वायरस अधिक घातक होता है, उससे मल्टीऑर्गन फेल्योर अधिक होता है, उससे मौतें होती हैं। जिन रोगियों की बीमारी केवल फैफड़ों तक रहती है, वह अस्पताल में भर्ती होकर, वेन्टीलेटर पर रहकर ठीक हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि मल्टीऑर्गन फेल्योर होने लगता है तब दुनिया का बेहतरीन चिकित्सक भी रोगी को बचा नहीं सकता। न्युमोनिया से पीडि़त रोगी को वेन्टीलेटर पर रखना, अधिक जटिलता वाले रोगियों को वेन्टीलेटर की अधिक आवश्यकता होगी। रक्तचाप कम होने पर दवाइयां देकर रक्तचाप बढ़ाना पड़ेगा, किडनी में खराबी से पेशाब बंद होने पर डायलिसिस करनी पड़ेगी। इनके बावजूद मल्टीऑर्गन फेल्योर होने पर रोगी की मौत होती है।
इससे बचाव के लिए एनालिसिस करना पड़ेगा, ऐसे रोगियों के नमूनों को पूना भेजकर वहां वायरस के स्टे्रन का अध्ययन व परीक्षण करवाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे रोगियों को अस्पताल पहुंचने में होने वाली देरी भी कोरोना पॉजिटिव रोगियों की मौतों की अधिक संख्या का एक कारण है इसलिए ऐसी बीमारियों से पीडि़त रोगियों को जल्दी अस्पताल पहुंचना चाहिए, देरी करने पर न्युमोनिया होने की संभावना बढ़ती है।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी वालों को ऑक्सीजन पर रखना चाहिए, वेन्टीलेटर पर रखने की जरूरत वाले रोगी को वेन्टीलेटर पर रखना चाहिए। न्युमोनिया होने पर रक्तचाप कम होता है और रोगी की मौत होने की संभावना बढ़ जाती है। अहमदाबाद में मरने वाले ऐसे रोगी देरी से अस्पताल पहुंचने के कारण ही 48 घंटों में मर गए।
उन्होंने अहमदाबाद महानगर पालिका की ओर से घरों पर लोगों की जांच करने की रणनीति को सही कदम बताते हुए कहा कि यदि ऐसा नहीं होता तो एक कोरोना पॉजिटिव रोगी 10 लोगों को संक्रमित करता और पॉजिटिव रोगियों की संख्या काफी अधिक हो सकती थी। उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में कोरोना वायरस का स्ट्रेन काफी जहरीला है, इसके मुकाबले केरल व राजस्थान के वायरस का स्ट्रेन कम जहरीला है, वहां शुरुआत में एक हजार में से मात्र 1 रोगी की मौत हुई।
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