सरोजकुमारी कहती हैं कि घर में मां की भूमिका होती है और पुलिस मुख्यालय में पुलिस उपायुक्त की भूमिका हैं। ऐसे में वे स्टाफ को भोजन, पीपीई किट्स (PPE kit) , मास्क, सेनेटाइजर्स, स्वास्थ्य जांच समेत व्यक्तिगत देखभाल करने का प्रयास करती हैं। वे बताती हैं कि कर्मचारियों के स्वास्थ्य की देखभाल करना होता है। उनको विटामिन सी दिया जाता है। प्रत्येक कर्मचारी को सरजन का पाउडर दिया जाता है ताकि उनका स्वास्थ्य बेहतर रहे। इसके अलावा परिवार से सभी संपर्क रखा जाता है। बच्चों को भी समय-समय पर समझाना होता है। इसी तरीके से दोनो जिम्मेदारियां निभाना होता है।
सरोजकुमारी बताती हैं कि शहर में सात सौ पंजीकृत वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल रखनी होती है। वे ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं जो अकेले रहते हैं। ‘वरिष्ठ निर्भयम सेलÓ के जरिए देखभाल की जाती है। लॉकडाउन के दौरान वडोदरा में जहां वरिष्ठ नागरिक अकेले रहते हैं उनको मनो चिकित्सक और मनो वैज्ञानिकों की की मदद भी की जाती है। शहर में बेसहारा बच्चों की भी देखभाल की जाती है। ‘समज स्पर्शÓ की टीम के जरिए बच्चों को खाने-पीने की वस्तुएं दी जाती हैं। पुलिस किचन भी शुरू किया गया , जहां से लॉकडाउन के दौरान हररोज पाचस से ज्यादा लोगों को भोजन पहुंचाया जाता है। कई बार वे खुद भी रसोई बनाने में योगदान देती हैं।
सरोजकुमारी बताती हैं कि शहर में सात सौ पंजीकृत वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल रखनी होती है। वे ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं जो अकेले रहते हैं। ‘वरिष्ठ निर्भयम सेलÓ के जरिए देखभाल की जाती है। लॉकडाउन के दौरान वडोदरा में जहां वरिष्ठ नागरिक अकेले रहते हैं उनको मनो चिकित्सक और मनो वैज्ञानिकों की की मदद भी की जाती है। शहर में बेसहारा बच्चों की भी देखभाल की जाती है। ‘समज स्पर्शÓ की टीम के जरिए बच्चों को खाने-पीने की वस्तुएं दी जाती हैं। पुलिस किचन भी शुरू किया गया , जहां से लॉकडाउन के दौरान हररोज पाचस से ज्यादा लोगों को भोजन पहुंचाया जाता है। कई बार वे खुद भी रसोई बनाने में योगदान देती हैं।