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ये पुलिस अधिकारी खुद भी बनाती हैं ‘पुलिस किचन’ में खाना…

locationअहमदाबादPublished: May 10, 2020 08:14:57 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

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ये पुलिस अधिकारी खुद भी बनाती हैं 'पुलिस किचन' में खाना...

ये पुलिस अधिकारी खुद भी बनाती हैं ‘पुलिस किचन’ में खाना…

गांधीनगर. सरोजकुमारी वडोदरा शहर (vadodara city) में पुलिस उपायुक्त (DCP) हैं, जो न सिर्फ घर में बच्चों की माता की बखूबी जिम्मेदारी निभा रही हैं बल्कि , पुलिस अफसर (police officer) के तौर पर भी वे पालक माता की भूमिका निभा रही हैं। दरअसल वे पुलिस अफसर के तौर पर ‘वरिष्ठ निर्भयम’ (सीनियर सिटीजन सेल), पुलिस रसोई (police kitchen) , यौनशोषण के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा अभियान की ड्यूटी निभा रही हैं। जो भी पुलिस फिल्ड में हो उन्हें सभी सहायक वस्तुएं प्रदान करने के साथ-साथ दस वर्ष से कम आयु के बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता (Parents) की देखभाल करती हैं। यही नहीं वे पुलिस किचन में खुद भी खाना बनाकर जरूरतमंदों परोसती भी हैं।
वे कहती हैं कि कोरोना जैसी महामारी में जितना संभव होगा उतनी देश की मदद कर सकेंगी। उनके लिए देश सेवा पहली प्राथमिकता है बाद में परिवार की चिंता। वे अपने बच्चों को लेकर कहती है कि मौजूदा समय में बच्चों की स्कूलें बंद हैं। इससे बच्चे घर पर समय देने की इच्छा रखते हैं। ऐसे में उनको समझाना पड़ता है। जैसे हालात ऐसे में हररोज 10 बजे तक घर पहुंचना संभव नहीं है।
सरोजकुमारी कहती हैं कि घर में मां की भूमिका होती है और पुलिस मुख्यालय में पुलिस उपायुक्त की भूमिका हैं। ऐसे में वे स्टाफ को भोजन, पीपीई किट्स (PPE kit) , मास्क, सेनेटाइजर्स, स्वास्थ्य जांच समेत व्यक्तिगत देखभाल करने का प्रयास करती हैं। वे बताती हैं कि कर्मचारियों के स्वास्थ्य की देखभाल करना होता है। उनको विटामिन सी दिया जाता है। प्रत्येक कर्मचारी को सरजन का पाउडर दिया जाता है ताकि उनका स्वास्थ्य बेहतर रहे। इसके अलावा परिवार से सभी संपर्क रखा जाता है। बच्चों को भी समय-समय पर समझाना होता है। इसी तरीके से दोनो जिम्मेदारियां निभाना होता है।
सरोजकुमारी बताती हैं कि शहर में सात सौ पंजीकृत वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल रखनी होती है। वे ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं जो अकेले रहते हैं। ‘वरिष्ठ निर्भयम सेलÓ के जरिए देखभाल की जाती है। लॉकडाउन के दौरान वडोदरा में जहां वरिष्ठ नागरिक अकेले रहते हैं उनको मनो चिकित्सक और मनो वैज्ञानिकों की की मदद भी की जाती है। शहर में बेसहारा बच्चों की भी देखभाल की जाती है। ‘समज स्पर्शÓ की टीम के जरिए बच्चों को खाने-पीने की वस्तुएं दी जाती हैं। पुलिस किचन भी शुरू किया गया , जहां से लॉकडाउन के दौरान हररोज पाचस से ज्यादा लोगों को भोजन पहुंचाया जाता है। कई बार वे खुद भी रसोई बनाने में योगदान देती हैं।
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