ऐसे हुई दोस्ती…
पिछले कुछ समय से डेसर पुलिस थाने में ड्राइवर के रूप में सेवारत अल्पेशभाई पारेख एक दिन थाने के ऊपर छत पर चाय पी रहे थे। इस दौरान दो-चार कौआ उड़कर छत पर पहुंच गए। ऐसे में अल्पेशभाई ने गांठिया व सेव मंगाकर उनको डाल दिया। इसके बाद दूसरे दिन सुबह इसी प्रकार से कुछ कौए आ गए, तो पुन: गांठिया-सेव मंगाकर डाल दिए।
धीरे-धीरे कौओं की संख्या बढऩे लगी। याद रहे छत पर सिर्फ कौए ही आते हैं, अन्य पक्षी नहीं आते हैं। कागों को नास्ता कराने में अल्पेशभाई को खुशी होती थी। धीरे-धीरे अल्पेशभाई व कागों के बीच दोस्ती भी बढ़ती गई और अब रोजाना सुबह अल्पेशभाई कागों के साथ नास्ता करते हैं।
अब दोनों के बीच दोस्ती इतनी गहरी हो गई है कि यदि किसी दिन अल्पेशभाई नहीं होते हैं, तो वह किसी अन्य को कागों को नास्ता कराने की जिम्मेदारी सौंपकर जाते हैं। किसी कारणवश यदि सुबह देर से जागते हैं तो कौआ कमरे के आसपास व जालियों के पास आवाज करके अल्पेशभाई को जगाने का प्रयास करते हैं।
सिर्फ पक्षी प्रेम ही नहीं, अपितु मानव सेवा में भी अल्पेशभाई पीछे नहीं हैं। पुलिस थाने के सामने रहने वाली वृद्ध की आर्थिक स्थिति कमजोर है। वह फिलहाल अकेली रहती हैं। संतान में एक पुत्री थी, लेकिन उनकी भी मौत हो गई थी। ऐसे में अब वह अकेली रहती हैं। अल्पेशभाई ने इस संबंध में जानकारी मिली तो उन्होंने आर्थिक मदद शुरू कर दी। खाने-पीने के सामान से लेकर दवाई व अस्पताल का खर्चा अल्पेशभाई उठाते हैं।
विकट परिस्थिति से मिली सेवा की सीख
अल्पेशभाई का कहना है कि दो-चार वर्ष इस प्रकार की विकट परिस्थिति में समय व्यतीत किया था। ऐसे में आज मुझे ऐसे कार्य करने का विचार आता है। जब तक डेसर में हूं, तब तक दोनों कार्य जारी रखूंगा।