इस वर्ष पालखी यात्रा नहीं गायकवाड़ सरकार के समय से चल रही परंपरा के अनुसार नवरात्र में अष्टमी के बाद दशहरे पर भी पालखी यात्रा निकाली जाती है। इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण दोनों ही दिन पालखी यात्रा नहीं निकालने का निर्णय किया गया है। इसके अलावा प्रत्येक महीने की पूर्णिमा पर भी पुलिसकर्मियों की ओर से बहुचराजी माता को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।
नवलखा हार है प्रसिद्ध बहुचराजी माता मंदिर की दूसरी विशिष्टतता व परंपरा माताजी के नवलखा हार की है। सात नीलम व अनेक हीरों से जडि़त नवलखा हार से माताजी का श्रृंगार किया जाता है। नवरात्र के बाद दशहरे पर निकाली जाने वाली पालखी यात्रा में माताजी को नवलखा हार पहनाया जाता है। इस हार की वर्तमान कीमत करीब 500 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। हार में हरे रंग का नीलम और अनेकों हीरे जड़े हैं।
गायकवाड़ सरकार की ओर से दिया गया हार वर्षों पहले गायकवाड़ सरकार की ओर से यह नवलखा हार दिया गया था। उस समय से दशहरे पर निकलने वाली पालखी यात्रा में परंपरानुसार बहुचराजी माता को नवलखा हार पहनाया जाता है। हालांकि इस वर्ष पालखी यात्रा नहीं निकाली जा रही, लेकिन मंदिर परिसर में आसोज सुद छठ पर गुरुवार सवेरे शुरू हुआ शतचंडी यज्ञ आसोज सुद अष्टमी पर शनिवार शाम को पूर्ण हुआ।