दस वषों में एलपीजी गैस भट्टियों के 1200 डिग्री तापमान पर बनने वाले उत्पादों के उलट अगले माह होने वाले गुजरात चुनाव के मतदान का तापमान भी अभी मात्र 50 डिग्री ही चल रहा है। प्रत्याशियों का चयन नहीं होने तक राजनतिक अनिश्चितता का समय चलेगा। दोनों दल अभी हवा में ही बातें कर रहे हैं। उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, उड़ीसा व राजस्थान के दो लाख मजदूर इसे देश का दुबई भी कहते हैं।
दो वर्ष पूर्व बने नए जिले मोरबी में तीन सीटें मोरबी शहर, टंकारा व वांकानेर हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में वांकानेर की सीट कांग्रेस को वहीं मोरबी व टंकारा भाजपा को मिली थी। टंकारा के विधायक मोहन कुंडारिया के सांसद बनने के बाद उपचुनाव में भी सीट भाजपा को ही मिली। मजेदार बात यह है कि हार्दिक पटेल आरक्षण की मांग कर रहे हैं। वहीं सात सौ सेनेटरी व विट्रोफाई इकाइयों में पांच सौ से अधिक इकाइयों के मालिक पटेल हैं। शहर में लिमोजिन गाड़ी के अलावा विश्व की कारों का शायद ही कोई ब्रांड हो जो यहां नहीं हो। इलाके में सर्वाधिक पटेल मतदाता है ।
जिले में कल्पेश ठेकेदार, मोण्टू मणियार, कमल सिंह, किशन पटेल, सुरेशभाई व अन्य से पटेल आरक्षण, जीएसटी, नोटबंदी, मोदी के विकास व किसानों को फसल के उचित दाम के मुद्दे पर बातचीत की तो उनका कहना था कि पटेलों के अशिक्षित वर्ग में कुछ असर हो सकता है। यह उद्योग अब फिर पटरी पर आ गया है। नोटबंदी भूली बिसरी बात हो गई। मतदाताओं का कहना है कि भाजपा की वजह से नहीं मोदी साहेब की वजह से वोट पड़ते हैं। कांगे्रस हार्दिक, अल्पेश व जिग्नेश मेवाणी को लेकर उत्साह में है। भाजपा वाले बार- बार डोर टू डूोर कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। कांग्रेस त्रिमूर्ति युवा व प्लस राहुल को लेकर जोश में हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी भी जमीन तक है।
राजेन्द्रसिंह नरुका