Politics: गुजरात की राजनीति में कभी दिगग्ज माने जाने वाले इस नेता ने 50 वर्षों में पांच पार्टी छोड़ी
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अहमदाबाद. गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और कभी भाजपा के बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले शंकर सिंह वाघेला नेे अपने 50 वर्षो की राजनीति में पांच अलग-अलग राजनीतिक दल से जुड़े।
गुजरात की राजनीति में कभी दिगग्ज खिलाड़ी रहे वाघेला ने अपनी करीब 5 दशक से लंबी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सदस्य के रूप में शुरु की। वे भारतीय जनसंघ से जुड़े। इमरजेंसी के बाद वे जनता पार्टी के टिकट पर वर्ष 1977 में कपडवंज लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने। इसके बाद वे भारती जनता पार्टी से जुड़े। वर्ष 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1980 से 1991 तक वाघेला गुजरात में भाजपा के महासचिव और प्रदेश अध्यक्ष रहे। वर्ष 1984 से 1989 तक वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वे वर्ष 1989 में गांधीनगर लोकसभा सीट से और वर्ष 1991 में गोधरा लोकसभा सीट से चुनाव जीते। वर्ष 1984 से 1989 तक वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे। इस दौरान वर्ष 1995 में केशूभाई पटेल सरकार में 47 विधायकों के साथ भाजपा से विद्रोह किया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) बनाई और कांग्रेस के सहयोग से वर्ष 1996-97 के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। बाद में उन्होंने राजपा का कांग्रेस में विलय कर दिया।
केन्द्रीय मंत्री, नेता प्रतिपक्ष भी रहे
वर्ष 1999 और वर्ष 2004 में वे लगातार दो बार पंचमहाल सीट से लोकसभा का चुनाव जीते। वाघेला वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पहली यूपीए सरकार में कपड़ा मंत्री बनाए गए। वे वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव हार गए थे। हालांकि बाद में वे वर्ष 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जीते और कांग्रेस ने उन्हें राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता नियुक्त किया। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने 13 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने जन विकास मोर्चा नामक संगठन तैयार किया। चुनाव में अखिल भारतीय हिन्दुस्तान कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 95 उम्मीदवार उतारे लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत सके। इसके बाद वे जनववरी 2019 में एनसीपी में शामिल हुए।
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