सामाजिक कार्यकर्ता जयेश मुंधवा ने बताया कि हाथीजण-विवेकानंद के बीच बहने वाले खारी नदी में बारिश के मौसम के अलावा कभी भी पानी नजर नहीं आता, लेकिन इन दिनों इस नदी में काला (कैमिकल वाला) पानी बह रहा है। सीवरेज को तोड़कर कैमिकल वाला पानी इस नदी में छोड़ दिया गया है। महानगरपालिका अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो रहा है। दसक्रोई तहसील के गामडी, दिवडी, लाली चोसर, महाजण समेत दस गांवों के लिए इस जहरीले पानी का दंश झेल रहे हैं।
वहीं विष्णुभाई देसाई का कहना है कि यह नदी नरोडा से ओढ़व होते हुए हाथीजण से गुजरती है, लेकिन पिछले कई दिनों से केमिकल वाला पानी बह रहा है, जो काफी बदबू मारता है। लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है। कई बार मवेशी इस जहरीले पानी को पी लेते हैं, जो उनके लिए घातक हो सकता है।
गामडी गांव निवासी जयदीप बारोट के मुताबिक यह दूषित और केमिकल वाला खेतों में पहुंच रहा है, जिससे फसलें खराब हो रही है। पानी के बोरों में भी लाल पानी निकलता है, जो पीने योग्य नहीं होता है। सिंचाई के लिए इस नहर में पानी छोड़ जाता था, लेकिन अब तो केमिकल वाला बह रहा है। प्रशासन को ऐसे पानी पर रोक लगानी चाहिए। इस पानी से लोग त्वचा रोग का शिकार बन रहे हैं।
रामोल-हाथीजण वॉर्ड के पार्षद अतुलभाई का कहना है कि खारी नदी के कोज – वे के निकट सीवरेज को तोड़ दिया गया, जिसका केमिकल वाला पानी बह रहा है। महानगरपालिका से तोड़ी गई सीवरेज को बंद करने की मांग की थी। हालांकि सीवरेज अब बंद कर दी गई है, लेकिन इस मामले की जांच करनी चाहिए। दूषित पानी से लोग परेशान है।