अहमदाबाद. शहर में 20 जून को निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथयात्रा से पूर्व रविवार को जमालपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से धूमधाम के साथ जल यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु, साधु-संत, भजन मंडलियां, अखाड़े शामिल हुए। जलयात्रा मंदिर से निकलकर साबरमती नदी पर भूदर के आरे पर पहुंची जहां। जलयात्रा में मुख्य अतिथि के रूप में शिवानंद आश्रम के स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, महापौर किरीट परमार, जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीपदास महाराज व मुख्य न्यासी महेन्द्र झा , पूर्व गृह राज्यमंत्री प्रदीप ङ्क्षसह जाडेजा ने साबरमती नदी की पूजा अर्चना की। उसके बाद 108 कलशों में जल भरा गया। नदी के किनारे वैदिक मंत्रों के साथ पूजा अर्चना की गई। ढोल-नगाडा, हाथी, घोड़ा गाड़ी, बैलगाड़ी के साथ निकली इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। जलयात्रा निजमंदिर लौटी। उसके बाद भगवान जगन्नाथ का साबरमती नदी से लेकर आए गए 108 कलशों के जल से ज्येष्ठाभिषेक (स्नान) किया गया। उसके बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलदाऊ को गजवेश धारण किया गया। भगवान साल में एक दिन ही गजवेश धारण करते हैं। उसके बाद भगवान के इस रूप की पूजा अर्चना, आरती की गई। जिसके बाद भंड़ारे का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सरसपुर ननिहाल पहुंचे भगवान, गर्मजोशी से स्वागत, 15 दिन रहेंगेपरंपरा के तहत रथयात्रा से पहले 15 दिनों तक भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ ननिहाल में रहते हैं। जिसके तहत जलयात्रा के बाद गजवेश धारण करने के बाद भगवान, बहन सुभद्रा और बलदाऊ के साथ सरसपुर स्थित भगवान रणछोडऱाय मंदिर पहुंचे। सरसपुर में ननिहालवालों ने भगवान का गर्मजोशी से स्वागत किया। अब भगवान 15 दिनों तक सरसपुर में रहेंगे। इस दौरान विविध धार्मिक आयोजन होंगे। लोग दूर-दूर से दर्शन करने सरसपुर पहुंचते हैं। भगवान के रविवार को सरसपुर पहुंचने पर शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में लोग उमड़े।
अहमदाबाद. शहर में 20 जून को निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथयात्रा से पूर्व रविवार को जमालपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से धूमधाम के साथ जल यात्रा निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु, साधु-संत, भजन मंडलियां, अखाड़े शामिल हुए। जलयात्रा मंदिर से निकलकर साबरमती नदी पर भूदर के आरे पर पहुंची जहां। जलयात्रा में मुख्य अतिथि के रूप में शिवानंद आश्रम के स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, महापौर किरीट परमार, जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीपदास महाराज व मुख्य न्यासी महेन्द्र झा , पूर्व गृह राज्यमंत्री प्रदीप ङ्क्षसह जाडेजा ने साबरमती नदी की पूजा अर्चना की। उसके बाद 108 कलशों में जल भरा गया। नदी के किनारे वैदिक मंत्रों के साथ पूजा अर्चना की गई। ढोल-नगाडा, हाथी, घोड़ा गाड़ी, बैलगाड़ी के साथ निकली इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। जलयात्रा निजमंदिर लौटी। उसके बाद भगवान जगन्नाथ का साबरमती नदी से लेकर आए गए 108 कलशों के जल से ज्येष्ठाभिषेक (स्नान) किया गया। उसके बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलदाऊ को गजवेश धारण किया गया। भगवान साल में एक दिन ही गजवेश धारण करते हैं। उसके बाद भगवान के इस रूप की पूजा अर्चना, आरती की गई। जिसके बाद भंड़ारे का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। सरसपुर ननिहाल पहुंचे भगवान, गर्मजोशी से स्वागत, 15 दिन रहेंगेपरंपरा के तहत रथयात्रा से पहले 15 दिनों तक भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ ननिहाल में रहते हैं। जिसके तहत जलयात्रा के बाद गजवेश धारण करने के बाद भगवान, बहन सुभद्रा और बलदाऊ के साथ सरसपुर स्थित भगवान रणछोडऱाय मंदिर पहुंचे। सरसपुर में ननिहालवालों ने भगवान का गर्मजोशी से स्वागत किया। अब भगवान 15 दिनों तक सरसपुर में रहेंगे। इस दौरान विविध धार्मिक आयोजन होंगे। लोग दूर-दूर से दर्शन करने सरसपुर पहुंचते हैं। भगवान के रविवार को सरसपुर पहुंचने पर शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में लोग उमड़े।