रथयात्रा के लिए ध्वजा बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। जगन्नाथजी रथयात्रा महोत्सव समिति ट्रस्ट की ओर से 37वीं रथयात्रा के लिए तैयारियां जोर पकड़ चुकी है। इसके तहत शहर के परिमल चौक स्थित कार्यालय में रथयात्रा की ध्वजा बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। भावनगर को केसरियामय करने के लिए अरविंद और उनकी टीम 15 से 17 हजार ध्वजा बनाने के काम में जुटी है। रथयात्रा के दिन भावनगर शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में केसरिया ध्वजों को लगाया जाएगा।

राज्य में दूसरी बड़ी रथयात्रा भावनगर में निकाली जाती है। भावनगर में पिछले 36 वर्षों से अनवरत रथयात्रा निकलती आ रही है। हालांकि पिछले 2 सालों से कोरोना महामारी के कारण रथयात्रा पर असर हुआ। भावनगर स्थित भगवानेश्वर महादेव मंदिर में रथ को बाहर निकाल कर लोगों के दर्शन के लिए रखा गया था। पिछले साल भी सिर्फ भगवान के रथ ने ही नगरयात्रा की थी। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को शामिल नहीं किया गया था। इस साल एक जुलाई को आषाढी दूज पर रथयात्रा निकाली जाएगी। रथयात्रा समिति के अध्यक्ष हरू गोंडलिया ने बताया कि कोरोना के कारण सीमित रूप से निकाली गई रथयात्रा इस साल पूरे धार्मिक उत्साह के साथ निकाली जाएगी।
हर साल निकलती है
हर साल आषाढी दूज के दिन देश के कई जगहों में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। देश में सबसे बड़ी रथयात्रा जगन्नाथपुरी में निकाली जाती है। वहीं गुजरात में सबसे बड़ी रथयात्रा अहमदाबाद में निकाली जाती है।
हर साल आषाढी दूज के दिन देश के कई जगहों में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। देश में सबसे बड़ी रथयात्रा जगन्नाथपुरी में निकाली जाती है। वहीं गुजरात में सबसे बड़ी रथयात्रा अहमदाबाद में निकाली जाती है।