गुजरात में सिर्फ नाम की शराबबंदी
Prohibition, Gujarat, just for name
अहमदाबाद
Published: July 26, 2022 10:53:33 pm
Prohibition in Gujarat just for name गुजरात में शराबबंदी सिर्फ नाम मात्र की रह गई है। अहमदाबाद और बोटाद जिले में जहरीली शराब (मिथेनॉल अल्कोहल) पीने से 30 लोगों की मौत हो गई। इन मौतों से गुजरात में लागू शराबबंदी की न सिर्फ पोल खुली है, बल्कि राज्य सरकार व पुलिस की ओर से किए जाने वाले शराबंदी के कड़े अमलीकरण के दावों की हकीकत भी बयां हुई है। इसमें कहीं न कहीं रिश्वतखोरी व लापरवाही की भी बू आ रही है, क्योंकि जिस रोजिद गांव में 10 लोगों की मौत हुई है, वहां के सरपंच ने गत मार्च महीने में गुजरात पुलिस को लिखित में शिकायत दी थी कि गांव में अवैध रूप से शराब की बिक्री की जा रही है। इसलिए गांवों में पुलिस गश्त बढ़ाकर बुटलेगरों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
इसके बावजूद बरती गई लारपरवाही के नतीजे में इस प्रकार की दर्दनाक घटना सामने आई है। यदि सही समय पर प्रभावी कार्रवाई की गई होती तो शायद इस घटना को रोका जा सकता था। इस दुखदायी घटना को लेकर राज्य सरकार इतनी असंवेदनशील दिखी कि सरकार के किसी भी मंत्री ने घटना के कई घंटों तक एक बयान तक देना उचित नहीं समझा।
तिस पर पुलिस के आला अधिकारी बयान दे रहे हैं कि उन्होंने 24 घंटे में ही इस पूरे घटनाक्रम का पर्दाफाश कर दिया है। मुख्य आरोपी सहित ज्यादातर आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। साथ ही उनका यह दावा कि यह मौतें मिथेनॉल अल्कोहल पीने के चलते हुई हैं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि मिथेनॉल अल्कोहल को देसी शराब के नाम पर तो बुटलेगरों ने ही बेचा था।। इससे पहले भी अहमदाबाद में वर्ष 2009 में जब जहरीली शराब से 123 लोगों की मौत हुई थी, तब भी यही बात सामने आई थी कि शराब में मिथेनॉल अल्कोहल मिलाया गया था। तब इसे लेकर उच्च न्यायालय के सेवानिृवत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। इस समिति ने राज्य सरकार को कई सिफारिशें भी की थीं, लेकिन जैसा लगभग हर घटना में होता है, तब भी सिफारिशों को भुला दिया गया। राज्य सरकार ने उन सिफारिशों से कुछ भी नहीं सीख ली।
वर्तमान मामले में भी अब तक सिर्फ जांच समितियों का ही गठन किया गया है। किसी पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। जब तक सरकार ऐसे मामलों में कड़ी और ठोस कार्रवाई नहीं करेगी तब तक नशे का कारोबार करने वाले निर्दोष, गरीब लोगों की जान का सौदा भ्रष्टाचार की मिलीभगत से यूं ही करते रहेंगे।

गुजरात में सिर्फ नाम की शराबबंदी
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