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बोगस बिलिंग के रैकेट का भंडाफोड़, मुख्य आरोपी गिरफ्तार

locationअहमदाबादPublished: Jan 04, 2019 10:21:16 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

केन्द्रीय जीएसटी- दक्षिण आयुक्तालय की प्रिवेन्टिव विंग

GST

बोगस बिलिंग के रैकेट का भंडाफोड़, मुख्य आरोपी गिरफ्तार

अहमदाबाद. केन्द्रीय जीएसटी- दक्षिण आयुक्तालय की प्रिवेन्टिव विंग ने बोगस बिलिंग के रैकेट का पर्दाफाश किया, जिसमें 175 करोड़ रुपए के फर्जी बिलिंग में से 32 करोड़ रुपए की कर चोरी सामने आई है। इस आरोप में जीएसटी की टीम ने मुख्य आरोपी समीर हुसैन मीठावाला (38) को गिरफ्तार किया है, जिसने व्यक्तिगत विवरण और अन्य कई दस्तावेजों के जरिए 20 से ज्यादा कंपनियों खोली थी। आरोपी को अदालत में पेशकर जीएसटी ने 16 जनवरी तक रिमांड पर लिया है।
यह आरोपी जिस भी व्यक्ति से दस्तावेज लेकर उसके नाम से कंपनी खोलता था उसे हर माह कुछ राशि भुगतान करता था। जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए उसने किराए पर ऑफिस लिया था और उन व्यक्तियों के नाम से बैंक एकाउन्ट खुलवाता था। केवायसी दस्तावेज के बाद बैंक एकाउन्ट खुल जाता था और किराए की व्यवस्था भी पूरी करता था। बाद में जीएसटी रजिस्ट्रेशन हो जाता था। जीएसटी रजिस्ट्रेशन होने के बाद वह जीएसटी टीम नंबर से बिल बना लेत था। आरोपी समीर हुसैन मीठाभाई वाला सभी नियमों का पालन करता था जो कारोबार का विवरण होता था।
बोगस बिलिंग का मामला उस समय सामने आया जब केन्द्रीय जीएसटी को जानकारी मिली कि एक गिरोह काम कर रहा है जिसमें कई कम्पनियां बगैर माल के लेनदेन के बिल जारी करता था। ये सभी कम्पनियां ना ही कोई माल की आपूर्ति करती है और ना ही कोई सर्विस मुहैया कराती और बगैर किसी खरीदारी के इनपुट टैक्स का दावा करती है। इसके बाद केन्द्रीय जीएसटी टीम ने जांच शुरू की है, जिसमें आरोपी समीरहुसैन मीठावाला को गिरफ्तार किया। आरोपी अतिरिक्त मुख्य दंडाधिकारी-अहमदाबाद के सामने पेशकर 16 जनवरी तक जीएसटी ने रिमांड पर लिया है।
जीएसटी चोरी के आरोपी तीन तक रिमाण्ड पर
– फर्जी बिलिंग घोटाला
अहमदाबाद. राज्य वस्तु एवं सेवा कर विभाग ने फर्जी बिलिंग घोटाले में दो आरोपियों को अदालत में पेशकर गुरुवार तक रिमाण्ड पर लिया है। जिन दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है उनमें हितेन्द्र शाह और माधव शाह हैं। जीएसटी विभाग के अनुसार राज्य जीएसटी ने पिछले वर्ष 9 अक्टूबर को ओम एन्टरप्राइज के खिलाफ जांच शुरू की थी, लेकिन जांच के दौरान कारोबारी नहीं मिला। जांच में सामने आया कि व्यापारी ने पिछले वर्ष 28 मार्च को नंबर लेकर जुलाई -2018 तक 106.40 करोड़ रुपए फजी बिल जारी किए, जिसमें जीएसटी 13.33 करोड़ रुपए है। इसमें 89.92 करोड़ के बिल तो कारोबारी ने जीएसटी नंबर लेने के चार दिनों में जारी किए थे।
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