राजकोट : रास्ते पर भटकते लोगों की सेवा में जुटे विष्णुभाई
अहमदाबादPublished: Jul 04, 2019 04:36:24 pm
खुद नहलाते हैं व दाढ़ी-बाल साफ कर पहनाते हैं नए कपड़े
राजकोट : रास्ते पर भटकते लोगों की सेवा में जुटे विष्णुभाई
राजकोट. ‘मानव सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है।” कहने को तो यह एक कहावत है, लेकिन इसे सार्थक कर रहे विष्णुभाई भराड़। परिवार व समाज से अलग और खुद अपने लिए कुछ नहीं करने की स्थिति में रास्ते पर भटकते लोगों की सेवा में जुटे विष्णुभाई उन्हें शांति से बुलाते हैं और बिठाकर नहलाते हैं। यदि किसी के सिर के या दाढ़ी के बाल बढ़े होते हैं तो उन्हें भी काटते हैं। इतना ही नहीं अपितु उन्हें नए वस्त्र भी पहनाते हैं।
मूल राजकोट जिले के जसदण निवासी वह लम्बे समय से राजकोट में रहते हैं। सुखी-सम्पन्न विष्णुभाई के गुरु ने एक मंत्र दिया था कि इस संसार में मानव सेवा करना ही भगवान की बड़ी सेवा है। गुरु के बताए मार्ग पर चलते हुए वह पिछले ९-१० वर्षों से राजकोट सहित सौराष्ट्र में पागल जैसी स्थिति में घूमने वालों को अनोखी सेवा कर रहे हैं। रास्ते पर घूमने वाले निराधार एवं अस्थिर मगज के लोगों को अपने हाथों से स्नान कराते हैं। इतना ही नहीं अपितु, उनके बाल भी साफ करते हैं और नाखुन काटकर उन्हें नए वस्त्र पहनाते हैं।
उनके इस कार्य को राजकोट निवासी कानजीभाई सगपरिया, भरतभाई बारड, हरेशभाई पटेल, दिनेशभाई आदि का सहयोग मिलने से सत सेवाभाव चेरीटेबल ट्रस्ट के नाम से सेवाकार्य जारी हैं। बंद बॉडी के रिक्शा में एक हजार लीटर पानी भरे टैंक के साथ कपड़े, साबुन, शैम्पू एवं कैंची लेकर रोजाना सुबह आठ बजे घर से सेवा के लिए निकल जाते हैं और जहां भी कोई अस्थिर मगज का व्यक्ति दिखाई देते है तो उसे प्रेम से बुलाते हैं। समझा-बुझाकर उनकी सफाई करते हैं। खुद अपने हाथों से उन्हें नहलाते हैं और बाल-दाढ़ी बनाकर कपड़े पहनाते हैं।
उनका कहना है कि वह पागल व्यक्ति को भगवान का रूप मानते हैं। उन्हें स्नान कराते समय लगता है कि अभिषेक कर रहा हूं। उन्हें नहलाते समय किसी प्रकार की शर्म या संकोच नहीं होता।
वह प्रत्येक पूर्णिमा को राजकोट से द्वारका जाते हैं। इस दौरान रास्ते में मिलने पर पागल या निराधार व्यक्तियों की इसी प्रकार सेवा करते हैं। सर्दियों में वह गर्म शॉल, कपड़े एवं स्वेटर भी देते हैं।
जसदण में खेती करने वाले विष्णुभाई का एक पुत्र है, जो अमरीका में रहते हैं। खुद सुखी-सम्पन्न होने के कारण उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।