चारों नेता चुनावों में अपना हाथ आजमा चुके हैं। इनमें से शक्ति सिंह गोहिल सबसे ज्यादा चार बार विधायक चुने गए हैं वहीं अमीन दो बार और बारा एक बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं। उधर पेशे से वकील भारद्वाज भी एक बार विधानसभा चुनाव में अपना हाथ आजमा चुके हैं। हालांकि गोहिल जहां अंतिम बार वर्ष 2014 के विधानसभा उपचुनाव में जीत का स्वाद चखा था वहीं बारा को वर्ष 2004 में तथा अमीन को वर्ष 2001 में जीत मिली थी। इस तरह अमीन को 19 वर्ष बाद, बारा को 16 वर्ष बाद तथा गोहिल को 6 वर्ष बाद चुनावी राजनीति में जीत हासिल हुई है।
भारद्वाज भी वर्ष 1995 में राजकोट सीट से विधानसभा चुनाव लड़़ चुके हैं लेकिन उन्हें उस वक्त निर्दलीय प्रत्त्याशी के रूप में तत्कालीन वित्त मंत्री वजूभाई वाला के सामने हार का सामना करना पड़़ा था।
भारद्वाज भी वर्ष 1995 में राजकोट सीट से विधानसभा चुनाव लड़़ चुके हैं लेकिन उन्हें उस वक्त निर्दलीय प्रत्त्याशी के रूप में तत्कालीन वित्त मंत्री वजूभाई वाला के सामने हार का सामना करना पड़़ा था।