मोबलिंचिंग हमारी संस्कृति नहीं
मुखर्जी ने कहा कि आज हमारे यहां मोबलिंटिंग में लोग मारे जा रहे हैं और कई लोग उस हैवानियत को वहां खड़े रहकर मोबाइल फोन में रिकॉर्ड करने में लगे रहते हैं। यह तो भारत की सभ्यता और संस्कृति नहीं रही। हमारे युवा बेहतर और क्षमतावान हैं,लेकिन इन सब के भी यह विचार में खामी भी आ रही है। जबकि देश प्यार, देशभक्ति,विविधता के बावजूद एकता को स्थान देने वाला, असहमत होते हुए भी साथ रहने की खूबी वाला है। लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था में इन मौलिक बातों को अब सिखाया नहीं जा रहा है। इस पर भी हमें ध्यान देने की जरूरत है।
मुखर्जी ने कहा कि आज हमारे यहां मोबलिंटिंग में लोग मारे जा रहे हैं और कई लोग उस हैवानियत को वहां खड़े रहकर मोबाइल फोन में रिकॉर्ड करने में लगे रहते हैं। यह तो भारत की सभ्यता और संस्कृति नहीं रही। हमारे युवा बेहतर और क्षमतावान हैं,लेकिन इन सब के भी यह विचार में खामी भी आ रही है। जबकि देश प्यार, देशभक्ति,विविधता के बावजूद एकता को स्थान देने वाला, असहमत होते हुए भी साथ रहने की खूबी वाला है। लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था में इन मौलिक बातों को अब सिखाया नहीं जा रहा है। इस पर भी हमें ध्यान देने की जरूरत है।
महिलाओं को पढ़ाने से समाज शिक्षित
मुखर्जी ने कहा कि एक पुरुष को पढ़ाने से एक व्यक्ति शिक्षित होता है, जबकि एक महिला को पढ़ाने से पूरा परिवार और उसके जरिए समाज शिक्षित होता है। देश के आर्थिक विकास के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना जरूरी है।
मुखर्जी ने कहा कि एक पुरुष को पढ़ाने से एक व्यक्ति शिक्षित होता है, जबकि एक महिला को पढ़ाने से पूरा परिवार और उसके जरिए समाज शिक्षित होता है। देश के आर्थिक विकास के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना जरूरी है।
शिक्षा में जीडीपी का ६ प्रतिशत निवेश जरूरी
मुखर्जी ने देश के विकास के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का छह प्रतिशत निवेश करने की जरूरत है। भले ही देश में ७६७ विवि, ३६ हजार से ज्यादा कॉलेज,16 आईआईटी, 13 एनआईटी है। फिर भी २०१५ के आंकड़े दर्शाते हैं कि पीएचडी स्कॉलर्स में हम देश विश्व में जापान, ब्रिटेन, अमरीका के बाद आते हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी में बेहतर काम हो रहा है। शिक्षा लेने वाले को रोजगार भी मिल रहा है, लेकिन सवाल यह है कि इन शिक्षित युवाओं का हम देश के लिहाज से कहां उपयोग कर पा रहे हैं। शोध, नवाचार (इनोवेशन) में कम कहां हैं। इसमें से कितने शिक्षित युवा प्रोफेसर बनने को तैयार हो रहे हैं। वो क्यों शिक्षक नहीं बनना चाहते। यह वो क्षेत्र हैं जिस दिशा में हमें सोचने और काम करने की जरूरत है। सर सी.वी.रमन को छोड़ दें तो १९३० से भारत में रहकर काम करने वाले किसी भी भारतीय को नोबल पुरस्कार नहीं मिला है। हालांकि उसके बाद हरगोविंद खुराना, अमत्र्यसेन को नोबल पुरस्कार मिला है, लेकिन उन्होंने देश में कम शोध किए।
मुखर्जी ने देश के विकास के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का छह प्रतिशत निवेश करने की जरूरत है। भले ही देश में ७६७ विवि, ३६ हजार से ज्यादा कॉलेज,16 आईआईटी, 13 एनआईटी है। फिर भी २०१५ के आंकड़े दर्शाते हैं कि पीएचडी स्कॉलर्स में हम देश विश्व में जापान, ब्रिटेन, अमरीका के बाद आते हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी में बेहतर काम हो रहा है। शिक्षा लेने वाले को रोजगार भी मिल रहा है, लेकिन सवाल यह है कि इन शिक्षित युवाओं का हम देश के लिहाज से कहां उपयोग कर पा रहे हैं। शोध, नवाचार (इनोवेशन) में कम कहां हैं। इसमें से कितने शिक्षित युवा प्रोफेसर बनने को तैयार हो रहे हैं। वो क्यों शिक्षक नहीं बनना चाहते। यह वो क्षेत्र हैं जिस दिशा में हमें सोचने और काम करने की जरूरत है। सर सी.वी.रमन को छोड़ दें तो १९३० से भारत में रहकर काम करने वाले किसी भी भारतीय को नोबल पुरस्कार नहीं मिला है। हालांकि उसके बाद हरगोविंद खुराना, अमत्र्यसेन को नोबल पुरस्कार मिला है, लेकिन उन्होंने देश में कम शोध किए।