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गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में झलकेगी ‘गुजरात के आदिवासी क्रांतिवीरÓ की झांकी

locationअहमदाबादPublished: Jan 22, 2022 08:15:02 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

republic day parade, Gujarat news, actors, gujrat government; झांकी में मोतीलाल तेजावत सहित 12 स्टैच्यू, 5 म्युरल्स, पोशीना के घोड़े और कलाकार देंगे प्रस्तुति

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में झलकेगी 'गुजरात के आदिवासी क्रांतिवीरÓ की झांकी

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गांधीनगर, दिल्ली में इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में ‘गुजरात के आदिवासी क्रांतिवीरÓ की झांकी नजर आएगी। साबरकांठा जिले के पाल और दढवाव गांव में अंग्रेज़ों ने जलियांवाला बाग से भी भीषण हत्याकांड किया था, जिसमें लगभग 1200 आदिवासी शहीद हुए थे। अब तक अज्ञात गुजरात की इस ऐतिहासिक घटना को इस साल 100 वर्ष पूरे हो रहे है। गुजरात सरकार अपनी झांकी से आदिवासियों की इस शौर्यगाथा को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
क्या है जलियाँवाला बाग से भी भीषण पाल-दढवाव की यह ऐतिहासिक घटना?

100 साल पहले यानि 7 मार्च, 1922 को यह वीभत्स घटना घटी थी। गुजरात के साबरकांठा जिले में भील आदिवासियों की आबादीवाले गाँव पाल, दढवाव और चितरिया के त्रिवेणी संगम पर हेर नदी के किनारे भील आदिवासी लोग राजस्व व्यवस्था एवं सामंतोंव रियासतों के कानून का विरोध करने के लिए एकत्रित हुए थे। वे सभी मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में एकत्रित हुए थे।
जलियांवाला बाग की घटना के तीन साल बाद गुजरात के साबरकांठा जिले में घटी इस भीषण घटना को इतिहास ने भुला दिया था। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इतिहास की इस घटना को दुनिया के समक्ष उजागर किया। इस क्षेत्र में शहीद स्मृति वन और शहीद स्मारक स्थापित किए गए हैं, जो इस नरसंहार को परिलक्षित करते हैं।
ये होगा झांकी में

गणतंत्र दिवस की परेड में नई दिल्ली के राजपथ पर प्रस्तुत होनेवाली गुजरात की यह झांकी 45 फीट लंबी, 14 फीट चौड़ी और 16 फीट ऊंची है। इस झांकी में पाल-दढवाव के आदिवासी क्रांतिवीरों पर अंग्रेज़ों द्वारा जो गोलीबारी की गई उस घटना को दिखाया गया है। आदिवासियों के ‘कोलियारी के गांधीÓ मोतीलाल तेजावत की 7 फीट ऊंची प्रतिमा इस झांकी की शोभा बढ़ा रही है। घुड़सवार अंग्रेज अफसर एच.जी. सटर्न की प्रतिमा भी शिल्पकला का बहेतरीन नमूना है। इसके अतिरिक्त झांकी में 6 और प्रतिमाएं भी हैं। झांकी पर 6 कलाकार भी होंगे जो कि अपने जीवंत अभिनय से इस घटना के मर्म को प्रस्तुत करेंगे।
झाँकी के साथ साबरकांठा के आदिवासी कलाकार नई दिल्ली में अपने पारंपरिक गेर नृत्य को भी प्रस्तुत करेंगे। पारंपरिक वेशभूषा में सजे 10 आदिवासी कलाकार पोशीना तालुका से आएंगे। अपने पूर्वजों के बलिदान की इस अद्भुत गाथा की प्रस्तुति में वे भी अपना योगदान देंगे। साबरकांठा ज़िले के ही वाद्यकारों एवं गायकों द्वारा पारंपरिक वाद्ययंत्रों से तैयार किया गया संगीत धुन भी प्रस्तुत किया जाएगा। आदिवासी कलाकार इस संगीत के साथ गेर नृत्य की प्रस्तुति देंगे।
गुजरात सरकार के सूचना विभाग की ओर से इस झाँकी के निर्माण में, गुजरात सूचना विभाग की सचिव अवंतिका सिंह, सूचना विभाग के निदेशक डी.पी. देसाई और विशेषज्ञ एवं इतिहासकार-लेखक विष्णुभाई पंड्या के मार्गदर्शन में पंकज मोदी और सूचना विभाग के उप निदेशक हिरेन भट्ट ने अपना योगदान दिया है। स्मार्ट ग्राफ आर्ट प्राईवेट लिमिटेड के सिद्धेश्वर कानुगा इस झाँकी का निर्माण कर रहे हैं।
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