आरटीई : तीसरे राउंड के दाखिले की जानकारी दें
अहमदाबादPublished: Sep 13, 2018 09:18:12 pm
-हाईकोर्ट का राज्य सरकार को निर्देश
-आरटीई को लेकर एक अन्य जनहित याचिका
आरटीई : तीसरे राउंड के दाखिले की जानकारी दें
अहमदाबाद. शिक्षा के अधिकार (आरटीई) को लेकर दायर एक अन्य जनहित याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को तीसरे राउंड के दाखिले की जानकारी देने को कहा है। न्यायाधीश अकील कुरैशी व न्यायाधीश बी. एन. कारिया की खंडपीठ ने संदीप मुज्यासरा की ओर से दायर जनहित याचिका पर यह निर्देश दिए। न्यायालय के मुताबिक राज्य सरकार को तीसरे राउंड के दाखिले के परिणाम का रिकॉर्ड पेश करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 19 सितम्बर को होगी।
आरटीई के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों को उनके निवास स्थान के नजदीकी स्कूल में पहली कक्षा में दाखिला दिया जाता है।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि उचित विद्यार्थियों को नजदीकी स्कूलों में दाखिले के आवंटन के दो राउंड के बाद करीब 33 हजार सीटें रिक्त रही है। हालांकि इसके मुकाबले आवेदन करने वाले 41 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को दाखिला नहीं दिया गया। इसके लिए प्राथमिक कारण यह बताया जा रहा है कि विद्यार्थियों के लिए दाखिले के आवेदन भरते समय अभिभावकों ने स्कूलों की सीमित प्राथमिकता भरी होगी। हो सकता है कि अभिभावकों ने जिन स्कूलों में दाखिले की प्राथमिकता भरी होगाी, वह उपलब्ध नहीं हो सकी हो।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि ऐसे विद्यार्थियों से फिर से प्राथमिकता/विकल्प मांग कर दाखिला दिया जाना चाहिए। जिससे ज्यादा से ज्यादा दाखिला दिया जा सके।
उधर राज्य सरकार ने इस मामले में प्रैक्टिकल कठिनाई की बात कही। यह भी दलील दी गई कि वर्तमान विकल्प/पसंद के आधार पर तीसरे दौर का दाखिला जारी है जो काफी अग्रिम चरण में है।
खंडपीठ ने कहा कि न्यायालय इस मुद्दे को लेकर वर्तमान अकादमिक और भविष्य के अकादमिक सत्र को लेकर और विचार करते हुए उचित अवलोकन करना चाहता है।
याचिका में कहा गया कि आरटीई के तहत राज्य सरकार ने पहले राउंड में विद्यार्थियों को दाखिला दिया। इसके डेढ़ महीने बाद दूसरा राउंड घोषित किया। इसमें सिर्फ चार हजार विद्यार्थियों को ही दाखिला मिल सका। दूसरे राउंड के बाद 35 हजार से ज्यादा सीटें खाली रहीं। इसलिए यह सीटें तत्काल भरी जानी चाहिए। इतना ही नहीं, विद्यार्थियों को अपने स्कूल बदलने को लेकर विकल्प भी दिया जाना चाहिए। फिलहाल 40 हजार से ज्यादा बच्चे दाखिले के लिए प्रतीक्षारत हैं। स्कूलों का शैक्षणिक सत्र आरंभ हुए पांच महीने बीत चुके हैं, ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को इन बच्चों को दाखिले दिए जाने की व्यवस्था करनी चाहिए।