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नेत्रहीनों का कॅरियर बनाने के काम आ रही कैदियों की आवाज

locationअहमदाबादPublished: Aug 08, 2022 10:58:52 pm

Sabarmati jail Inmates given their voice for audio recording of books गांधी कोठरी के शांत माहौल में की जाती है रिकॉर्डिंग, साबरमती जेल के कैदियों ने 3000 पुस्तकों को दी आवाज

नेत्रहीनों का कॅरियर बनाने के काम आ रही कैदियों की आवाज

नेत्रहीनों का कॅरियर बनाने के काम आ रही कैदियों की आवाज

नगेन्द्र सिंह

Ahmedabad. साबरमती सेन्ट्रल जेल की ऊंची चारदीवारी के बीच कैद कैदियों की आवाज से जेल के बाहर के नेत्रहीन व्यक्तियों का कॅरियर निखर रहा है। उनकी आवाज नेत्रहीनों को पढऩे और आगे बढऩे में मददगार साबित हो रही है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि Sabarmati Jail के कैदी नेत्रहीन लोगों की मदद के लिए पुस्तकों को अपनी आवाज दे रहे हैं। अंध जन मंडल (Blind People Association-बीपीए) के सहयोग से पुस्तकों में प्रकाशित पठन सामग्री को वे अपनी आवाज में रिकॉर्ड करते हैं। इसे सुनकर नेत्रहीन व्यक्ति अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। पहली कक्षा से लेकर 10वीं, 12वीं और स्नातक कोर्स तक की पुस्तकों की रिकॉर्डिंग साबरमती जेल में कैदियों की ओर से की जा रही है। इतना ही नहीं रोचक, मनोरंजन, प्रेरक कहानियों और स्पर्धात्मक परीक्षाओं की किताबों को भी कैदी अपनी आवाज दे रहे हैं। जो नेत्रहीनों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। ब्रेल लिपि की किताबों की कम उपलब्धता के बीच यह पहल काफी रंग ला रही है। साबरमती जेल में अब तक तीन हजार के करीब पुस्तकों-किताबों को कैदी अपनी आवाज में रिकॉर्ड कर चुके हैं।

गांधी यार्ड में रिकॉर्डिंग की व्यवस्था
Sabarmati Jail के वेलफेयर ऑफिसर पी.जे.पंचाल बताते हैं कि बीपीए के साथ मिलकर यह कार्य किया जा रहा है। किताबों की रिकॉर्डिंग करने के लिए गांधी यार्ड में विशेष व्यवस्था की गई है। वहां कंप्यूटर रखे गए हैं। यहां का वातावरण काफी शांत रहता है। जेल के करीब पांच से छह कैदी बीपीए से आने वाली किताबों को अपनी आवाज में रिकॉर्ड करते हैं।

चार भाषाओं में होती है रिकॉर्डिंग
जेल के कैदी चार भाषाओं में किताबों की ऑडियो रिकॉर्डिंग करते हैं। इसमें सबसे ज्यादा ऑडियो रिकॉर्डिंग गुजराती भाषा में होती है। इसके साथ ही हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में भी किताबों की ऑडियो रिकॉर्डिंग होती है।

चिराग ने 700 किताबों को दी आवाज
Sabarmati Jail के एक कैदी चिराग राणा ने अब तक करीब 700 किताबों को अपनी आवाज दी है। वे बताते हैं कि वे गुजराती, अंग्रेजी और हिंदी भाषा में किताबों की ऑडियो रिकॉर्डिंग करते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि विषय के अनुरूप उनका लहजा हो, आवाज की गति हो और शब्दों का उच्चारण भी सही रहे। एक अन्य कैदी हार्दिक प्रजापति भी 70-80 किताबों को अपनी आवाज दे चुके हैं। हाॢदक बताते हैं कि उन्हें काफी संतोष होता है जब उनकी आवाज को सुनकर कोई अपनी पढ़ाई करता है। वे ज्यादातर विज्ञान से जुड़ी किताबों को रिकॉर्ड करते हंै। संस्कृत की किताबों की रिकॉर्डिंग एक अन्य कैदी की ओर से की जाती है।

प्रति घंटे 80-100 रुपए मिलता है मेहनताना
Blind People Association के महासचिव डॉ. भूषण पुनानी बताते हैं कि वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री व मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुस्तकों की ऑडियो रिकॉर्डिंग कराने की बात कही थी। तभी से साबरमती जेल में कैदियों के पुस्तकों-किताबों की ऑडियो रिकॉर्डिंग कराई जा रही है। इसके लिए प्रति घंटे करीब 80-100 रुपए का मेहनताना कैदियों को दिया जाता है।

नेत्रहीन विद्यार्थियों को मिल रहा लाभ
अब तक करीब तीन हजार किताबों की ऑडियो रिकॉर्डिंग कराई गई है। यह ऑडियो बीपीए की वेबसाइट के जरिए डिजिटल लाइब्रेरी में उपलब्ध कराई जाती है। जहां से नेत्रहीन विद्यार्थी भी प्राप्त करते हैं। इसका लाभ नेत्रहीन विद्यार्थियों को मिल रहा है। पहले ब्रेल लिपि की किताबों का चलन ज्यादा था। तकनीक के युग में अब इसका चलन बढ़ा है। कई कहानियों को भी कैदी अपनी आवाज दे रहे हैं।
-डॉ.भूषण पुनानी, महासचिव, Blind People Association, Ahmedabad

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