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Ahmedabad News : सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के 54वें दीक्षांत समारोह

locationअहमदाबादPublished: Dec 07, 2019 11:17:05 pm

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

धर्म का आचरण, सत्य का पालन व अध्ययन करें विद्यार्थी : राज्यपाल
बोले : मातृ-पितृ-आचार्य देवो भव की हिफाजत व संवद्र्धन करें उपाधिधारक
57 विद्यार्थियों को 73 स्वर्ण पदक
14 विभागों के 37564 विद्यार्थियों को उपाधियां वितरित

Ahmedabad News : सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के 54वें दीक्षांत समारोह

Ahmedabad News : सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के 54वें दीक्षांत समारोह

राजकोट. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के उपाधिधारक विद्यार्थियों से ‘मातृ-पितृ-आचार्य देवो भव’ की भारतीय संस्कृति की हिफाजत व संवद्र्धन करने की अपील की है। वे सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के रंगमंच भवन में शनिवार को आयोजित 54वें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों को धर्म का आचरण, सत्य का पालन व अध्ययन का सेवन करना चाहिए। उन्होंने उन्नत व चरित्रशील समाज के निर्माण के लिए कटिबद्ध होने पर भी जोर दिया। शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चुड़ास्मा ने कहा कि विकासशील देश से विकसित देश बनने की प्रक्रिया में शिक्षा काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की ओर से तैयार की गई सर्वप्रथम स्टूडेन्ट स्टार्टअप इन्नोवेशन नीति के माध्यम से युवाओं को लोकहित के कार्य में एक-दूसरे को साझेदार बनने और विद्यार्थियों कोडिजिटल इंडिया के माध्यम से लोकल से ग्लोबल बनने की अपील की। कथाकार रमेशभाई ओझा ने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य के लिए आशीर्वचन दिए।
सभी शैक्षणिक विभागों की ओर से अधिष्ठाता मेहुल रूपाणी ने राज्यपाल को उपाधियां वितरित करने के लिए निमंत्रित किया। राज्यपाल ने निमंत्रण स्वीकार कर विविध शैक्षणिक विभागों के विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। दीक्षांत समारोह में 14 शैक्षणिक विभागों के 36564 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई। इनमें 13 शैक्षणिक विभागों के 57 विद्यार्थियों को कुल 73 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
कुलपति नितिन पेथाणी ने आयोजन की जानकारी दी। उपकुलपति डॉ. विजय देशाणी ने स्वागत भाषण दिया। भक्तकवि नरसिंह मेहता विश्वविद्यालय के कुलपति चेतन त्रिवेदी, सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार रमेशभाई परमार, परीक्षा निदेशक अमितभाई पारेख, पूर्व कुलपति डॉ. महेन्द्र पाडलिया आदि भी मौजूद थे।
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