scriptSea-Plane: फ्रांस ने की खोज, 1910 में पहली बार उड़ाया, दूसरे विश्व युद्ध में हुए व्यापक उपयोग | Sea-plane, Gujarat, France, Ahmedabad, Sabarmati riverfront | Patrika News

Sea-Plane: फ्रांस ने की खोज, 1910 में पहली बार उड़ाया, दूसरे विश्व युद्ध में हुए व्यापक उपयोग

locationअहमदाबादPublished: Oct 28, 2020 10:40:23 pm

Submitted by:

Uday Kumar Patel

Sea-plane, Gujarat, France, Ahmedabad, Sabarmati riverfront

Sea-Plane: फ्रांस ने की खोज, 1910 में पहली बार उड़ाया, दूसरे विश्व युद्ध में हुए व्यापक उपयोग

Sea-Plane: फ्रांस ने की खोज, 1910 में पहली बार उड़ाया, दूसरे विश्व युद्ध में हुए व्यापक उपयोग


अहमदाबाद. देश में पहली बार शनिवार को अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट और केवडिया के स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के बीच होगी सी-प्लेन की सेवा की शुरुआत हो रही है। सी-प्लेन के इतिहास पर गौर करें तो पता चलता है कि इसकी खोज फ्रांस के हेनी फेबर ने की थी। उन्होंने वर्ष 1910 में 50 होर्स पावर वाला सी-प्लेन उड़ाया था। ब्रिटिश कंपनी सुपरमरीन ने इंग्लैण्ड व फ्रांस के बीच 1919 में पहली बार फ्लाइंग बोट सेवा आरंभ की थी। 1930 में अमरीका और यूरोप के बीच परिवहन के एक माध्यम के रूप में सी-प्लेन का व्यापक उपयोग होने लगा। दक्षिण अमरीका, अफ्रीका व एशिया के बीच परिवहन के नए द्वार खोले। सी-प्लेन के चलते 1931 में इंग्लैण्ड से पत्र आस्ट्रेलिया जाता था जो 16 दिनों में पहुंचता था।
दूसरे विश्व युद्ध में हुए व्यापक उपयोग

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सी-प्लेेन का व्यापक उपयोग किया गया। मित्र राष्ट्रों ने जहां प्रशांत महासागर के दूरदराज के टापुओं तक जाने के लिए इसका उपयोग किया था वहीं धुरी राष्ट्रों में जर्मनी ने सबसे भारी व बड़ा सी-प्लेन उड़ाया था। इसका सबसे बड़ा लाभ यह था कि इसके लिए एयरपोर्ट बनाने की जरूरत नहीं होती और युद्ध के दौरान नए एयरपोर्ट बनाने का खर्च भी बच गया था। हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पैसेन्जर प्लेन और इसके लिए एयरपोर्ट में निवेश बढऩे के कारण सी-प्लेन का प्रचलन कम होता गया। अब नए शोध, नई तकनीक व एडवेंचर टूरिज्म के बढऩे से सी-प्लेन फिलहाल इसका प्रचलन बढ़ गया है
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो