दूसरे विश्व युद्ध में हुए व्यापक उपयोग दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सी-प्लेेन का व्यापक उपयोग किया गया। मित्र राष्ट्रों ने जहां प्रशांत महासागर के दूरदराज के टापुओं तक जाने के लिए इसका उपयोग किया था वहीं धुरी राष्ट्रों में जर्मनी ने सबसे भारी व बड़ा सी-प्लेन उड़ाया था। इसका सबसे बड़ा लाभ यह था कि इसके लिए एयरपोर्ट बनाने की जरूरत नहीं होती और युद्ध के दौरान नए एयरपोर्ट बनाने का खर्च भी बच गया था। हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पैसेन्जर प्लेन और इसके लिए एयरपोर्ट में निवेश बढऩे के कारण सी-प्लेन का प्रचलन कम होता गया। अब नए शोध, नई तकनीक व एडवेंचर टूरिज्म के बढऩे से सी-प्लेन फिलहाल इसका प्रचलन बढ़ गया है