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शिवसेना ने भी ठोकी ताल

locationअहमदाबादPublished: Nov 12, 2017 08:43:46 pm

केन्द्र और महाराष्ट्र में गठबंध के तहत भाजपा के साथ सरकार चलाने वाली शिवसेना ने भी गुजरात विधानसभा चुनावों में ताल ठोकी है। प्रथम चरण की ८९ सीटों में

Shivsena also threw the rhythm

Shivsena also threw the rhythm

अहमदाबाद।केन्द्र और महाराष्ट्र में गठबंध के तहत भाजपा के साथ सरकार चलाने वाली शिवसेना ने भी गुजरात विधानसभा चुनावों में ताल ठोकी है। प्रथम चरण की ८९ सीटों में से ५० से ७५ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की गुरुवार को पार्टी ने घोषणा की है। दूसरे चरण में भी करीब इतने ही प्रत्याशियों को उतारने पर मंथन चल रहा है।

शिवसेना के राष्ट्रीय सचिव व राज्यसभा सांसद अनिल देसाई ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि शिवसेना गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कच्छ, सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात में ५० से ७५ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। ऐसी सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाएंगे, जिन पर जीत की संभावना ज्यादा होगा। हम हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर गुजरात में चुनाव मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि शिवसेना का गुजरात में भाजपा के साथ कोई गठबंधन नहीं है। जल्द ही प्रत्याशियों की सूची जारी की जाएगी। जैसे-जैसे चुनावी प्रचार जोर पकड़ेगा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी गुजरात में चुनाव प्रचार में आ सकते हैं। गुजरात चुनाव प्रभारी राजुलबेन पटेल ने कहा कि हम विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। हम इससे पहले भी अलग चुनाव लड़े थे। इस बार भी लड़ रहे हैं। सीटें जीतने पर किस पार्टी को समर्थन दिया जाएगा। इसका फैसला बाद में पार्टी के शीर्ष नेतागण करेंगे।

मध्यगुजरात के अध्यक्ष अशोक शर्मा ने कहा कि बेरोजगारी, शिक्षा के निजीकरण, किसानों की समस्याओं को लेकर मैदान में उतरेंगे। जहां तक पाटीदार आरक्षण पर राय का सवाल है। संविधान से परे जाकर कुछ भी करना संभव नहीं है फिर भी पार्टी जरूर कोशिश करेगी। पार्टी की ओर से गुरुवार को गुजरात में चुनावी प्रत्याशियों के नामों पर मंथन हुआ। इसमें गुजरात चुनाव प्रदेश प्रभारी राजुल पटेल, गुजरात प्रदेश अध्यक्ष उमेश इंजीनियर, मध्यगुजरात अध्यक्ष अशोक शर्मा सहित टिकिट इच्छुक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

उम्मीदवारों ने पिछले चुनाव में औसतन 54 फीसदी किया खर्च

प्रदेश में कुछ साल पहले तक चुनावों के मौके पर जहां राजनीतिक पार्टियों एवं उम्मीदवारों की ओर से पैसा पानी की तरह बहाया जाता था। वहीं चुनावी खर्च की सीमा बांध दिए जाने के बाद से इस प्रकार के खर्च पर ब्रेक लगती नजर आ रही है। गुजरात विधानसभा के वर्ष 2012 के चुनाव में निर्वाचित हुए 182 विधायकों ने निर्धारित सीमा का औसतन 54 फीसदी चुनावी खर्च किया।

भाजपा विधायक भूपेन्द्र सिंह चुडास्मा ने तो निर्धारित सीमा का सिर्फ तीन फीसदी ही खर्च किया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) के विधायक भाजपा-कांग्रेस की तुलना में चुनावी खर्च के मामले में आगे रहे हैं। जानकारी के अनुसार निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2012 के विधानसभा के चुनाव में उम्मीदवारों के लिए अधिकतम 16 लाख रुपए की चुनावी खर्च सीमा निर्धारित की थी। इसके आधार पर भाजपा के नवनिर्वाचित 115 विधायकों का औसतन 8.46 लाख चुनावी खर्च रिकॉड हुआ। कांग्रेस के 61 विधायकों का औसतन चुनावी खर्च 8.91 लाख,जीपीपी के दो विधायकों का 8.42 लाख, जदयू के एक विधायक का 7.88 लाख एवं राकांपा के दो विधायकों का औसतन 10.66 लाख रुपए चुनावी खर्च सामने आया था।

सतीष पटेल का 230 फीसदी खर्च

गौर करें तो करजण से भाजपा विधायक सतीष पटेल ने 16 लाख की तुलना में 36.76 लाख रुपए चुनावी खर्च किया था। गरबाड़ा से कांग्रेसी विधायक चन्द्रिका बेन बारिया ने 14.55 लाख, भुज से भाजपा विधायक डॉ. नीमा आचार्य ने 14.29 लाख उमरेठ से राकांपा विधायक जयंत पटेल ने 14.20 एवं गांधीनगर से भाजपा विधायक अशोक पटेल ने 14.09 लाख रुपए चुनावी खर्च किया था।

सम्पत्ति से ज्यादा खर्च!

कुछ रोचक मामले भी सामने आए उनमें से दो जनों ने अपनी सम्पत्ति से भी ज्यादा चुनावी खर्च कर दिया। वड़ोदरा एससी सीट से भाजपा विधायक मनीशा वकील ने निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी अचल सम्पत्ति शून्य एवं चल सम्पत्ति 7.12 लाख रुपए घोषित की थी। जबकि चुनावी खर्च 9.86 लाख दर्शाया। फतेपुरा सीट से भाजपा विधायक रमेश कटारा ने अचल सम्पत्ति शून्य एवं चल सम्पत्ति छह लाख रुपए घोषित की थी, जबकि चुनावी खर्च 7.92 लाख दर्शाया था।

चुडास्मा ने किया सिर्फ ०३ फीसदी खर्र्च

प्रत्याशियों के न्यूनतम चुनावी खर्च की स्थिति पर गौर करें तो धोळका से भाजपा विधायक भूपेन्द्र ङ्क्षसह चुडास्मा ने 16 लाख रुपए के निर्धारित चुनावी खर्च की तुलना में सिर्फ तीन फीसदी(43,096 रुपए ही खर्च किए। दरियापुर से कांग्रेसी विधायक ग्यासुद्दीन शेख ने एक लाख, वेजलपुर से भाजपा विधायक किशोर चौहान ने तीन लाख, जूनागढ़ से महेन्द्र मशरू ने तीन लाख एवं द्बारका से पभुभा माणेक चार लाख रुपए के खर्च से चुनाव लड़ा था।

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