राजकोट क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त डॉ पार्थराजसिंह गोहिल, पीआई जे वी धोला और वाई बी जाडेजा ने बताया कि 9 मई को राजकोट के नानामवा रोड स्थित एसईआईटी एजुकेशन के कार्यालय से जयंती सुदाणी सरकार से बिना किसी मान्यता प्राप्त किए विद्यार्थियों को कोर्स कराए बगैर अलग-अलग फर्जी प्रमाण पत्र देता था। आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो कई अन्य मामलों का खुलासा हुआ। आरोपी जयंती ने अमरेली के केतन जोशी, दिल्ली के तनुजासिंह, जामनगर के जितेन्द्र पीठडिया, राजकोट के पारस लाखाणी और कोरोना से जान गंवाने वाले अशोक लाखाणी के साथ मिलकर बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एज्युकेशन दिल्ली नामक फर्जी ट्रस्ट बनाया था। इस ट्रस्ट के जरिए 54 स्कूलों को मान्यता दी गई।
हर विद्यार्थी से लेते थे फीस के 16 हजार
इस बोर्ड को अवैध ठहराए जाने के बाद भी आरोपियों ने वर्ष 2010-11 से 2019-20 तक जसदण, अमरेली, राजकोट समेत 54 स्कूलों को मान्यता दी। प्रत्येक विद्यार्थी से 16000 रुपए फीस लेते थे। बाद में बोर्ड का काम राजकोट के खोडियारपरा में अशोक लाखाणी के स्कूल से होता था। अशोक की मौत के बाद उसके पुत्र ने पूरा काम संभाल लिया था। स्कूल भवन नगर नियोजन के अधिग्रहण क्षेत्र में जाने की वजह से बोर्ड का कार्यस्थल बदलने की जरूरत पड़ी। सभी ने मिलकर 17 लाख रुपए में केतन जोशी को बोर्ड बेचने का निर्णय किया। इसके पहले केतन, जयंती, परेश आदि आरोपियों ने गुजरात में अहमदाबाद, करजण, राजकोट, जसदण, वडोदरा, अमरेली के अलावा देश के अलग-अलग शहरों में फर्जी ट्रस्ट के जरिए स्कूलों को मान्यता प्रदान कर दी थी। मामले में क्राइम ब्रांच ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। राजकोट के परेश व्यास की तलाश की जा रही है।