scriptआकाश में दिखे चंद्रमा के अद्भुत रूप | sky shine with supermoon bluemoon redmoon | Patrika News

आकाश में दिखे चंद्रमा के अद्भुत रूप

locationअहमदाबादPublished: Jan 31, 2018 10:58:59 pm

Submitted by:

Nagendra rathor

१५० साल बाद एक साथ सुपरमून, ब्लू-मून और रेड मून का नजारा

redmoon
अहमदाबाद. अंतरिक्ष में बुधवार की रात अद्भुत नजारों से भरपूर रही। आकाश में चंद्रमा के तीन अनोखे और रोमांचक रूप देखने को मिले। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि करीब १५० सालों बाद आसमान में सुपरमून, ब्लू-मून और रेड-मून (ब्लडमून) का अनूठा संयोग एक साथ बना। पूर्णिमा होने के चलते और चंद्र ग्रहण भी पडऩे के कारण चंद्रमा के बहुविध आकार तो देखने को मिले ही चंद्रमा लाल रंग में नजर आया।

यह लुभावना नजारा बुधवार शाम छह बजकर २२ मिनट से सात बजकर ३८ मिनट तक यानि एक घंटे १६ मिनट तक देखने को मिलेगा। इसे अहमदाबाद, गुजरात सहित देशभर में देखा गया। चंद्रमा अपने आकार से १४ प्रतिशत बड़ा और ३० प्रतिशत ज्यादा चमकीला नजर आया। धीरे-धीरे चंद्र ग्रहण खत्म होने से रात नौ बजे तक चंद्रमा के बहुविध रूप और आकार भी देखने को मिले। गुजरात साइंस सिटी में इसके लिए सुबह से ही विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। करीब चार हजार विद्यार्थी, शिक्षक, आगंतुकों ने इस दौरान चंद्रमा पर अब तक किए अभियानों की जानकारी ली और इन्हें चंद्रयान एक और चंद्रयान दो के बारे में भी जानने को मिला। चंद्रग्रहण क्यों पड़ता है, सुपरमून, ब्लूमून और रेड मून (ब्लडमून) क्या होता है और क्यों होता है यह भी समझने का मौका मिला। विद्यार्थियों और लोगों में चंद्रमा के अद्भुत रूप देखने को लेकर बड़ी उत्सुकता दिखी।

गुजरात साइंस सिटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.नरोत्तम साहू ने बताया कि कि बुधवार रात सवा छह बजे चंद्रमा के अनोखे रूप दिखने शुरू हुए। इसमें सुपरमून, दूसरा ब्लूमून और तीसरा रेडमून दिखा। सुपरमून इसलिए क्योंकि इस दिन भी चंद्रमा पृथ्वी के काफी पास था। जिससे यह १४ प्रतिशत बड़ा और ३० प्रतिशत ज्यादा चमकीला दिखा। चूंकि जनवरी महीने में यह दूसरी बार सबसे पास था और सुपरमून था जिससे इसे ब्लूमून कहते हैं। रेड-मून भी दिखा, क्योंकि इस दौरान चंद्रग्रहण भी पड़ा। सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आई। जिससे पृथ्वी के बीच भी सूर्य की कुछ किरणें चंद्रमा तक पहुंची यह नजारा चंद्रमा को लाल रंग का करने वाला रहा।

सबसे बेहतरीन बात यह रही कि एक साथ आकाश में चंद्रमा के ऐसे तीन नजारे बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। इससे पहले ऐसा नजारा करीब १५० साल पहले देखने को मिला था। साइंस सिटी में इंडियन प्लानेटरी साइंस के डॉ.जे.जे.रावल चंद्रयान-1 अभियान का हिस्सा रहे वैज्ञानिक नरेन्द्र भंडारी ने विद्यार्थियों को चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 की अहमियत बताई। शाम के समय जब सुपरमून, ब्लूमून और रेड मून का नजारा देखने को मिला तो इस दौरान एम्फी थियेटर में इस नजारे को देखने के लिए टेलीस्कोप के साथ एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई। टेलीस्कोप से इस नजारे को देखने के लिए लंबी कतार लगी। राज्य के विज्ञान सामुदायिक केन्द्रों में भी इस नजारे को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े।
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