दिल के लिए अहम है सामाजिक गतिविधियों में बने रहना
अवेयरनेस

अहमदाबाद. शारीरिक कसरत नहीं करना और समाज व मित्रों से दूरी बनाए रखना शरीर के लिए अच्छा नहीं है। बदलते जमाने में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या भी इसका प्रमुख कारण है। आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में हार्ट फैल्योर (हृदय रूक जाना) की पुष्टि देरी से होती है। देश में निदान होने के मात्र एक वर्ष के भीतर ही २३ फीसदी मरीजों की हार्ट फेलियर से मौत हो जाती है।
सिविल अस्पताल परिसर स्थित यूएन मेहता हार्ट हॉस्पिटल व बी.जे. मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कमल शर्मा ने वल्र्ड हार्ट फेलियर अवेयरनेस मंथ के उपलक्ष्य में यह जानकारी दी। उनके अनुसार हार्ट फेलियर मरीज को समय रहते उपचार नहीं मिलता है तो बहुत जल्द मौत संभव है। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि शारीरिक एवं सामाजिक गतिविधियों में बने रहने से हृदय रोग से राहत मिलती है। १० में से सात मरीजों को उपचार के अलावा शारीरिक और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने से आठ माह में राहत मिली है। यह सर्वेक्षण तीन वर्ष तक किया गया है। इस सर्वेक्षण के आधार पर सलाह भी दी है कि समय से स्नान करना, चढऩे के लिए सीढियों का अधिकतम उपयोग, कम से कम १०० मीटर तक चलना, मित्रों और परिजनों से मिलना, कसरत करना, घर के कार्य करते रहना और अपने शौक पूरे करना भी हृदय रोग में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं।
हृदय का रूक जाना वैश्विक समस्या
डॉ. कमल के अनुसार हृदय का रूक जाना (हार्ट फैल्योर) न सिर्फ भारत की बल्कि वैश्विक समस्या बन गई है। विश्व में २.६० करोड़ लोग हृदय रोग से असरग्रस्त हैं। इनमें से 1 करोड़ भारतीय हैं। हृदय रोग के उपचार का खर्च दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। देश के हृदय रोग विशेषज्ञों की सलाह है कि हार्ट फैल्योर रोग को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दवा और कुछ मामलों में इम्पलान्टेबल डिवाइस भी महत्वपूर्ण होता है।
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