निजी अस्पताल में हो सकता था पांच लाख से अधिक खर्च
शहर के सिविल अस्पताल में निशुल्क हुए इस ऑपरेशन को यदि निजी अस्पताल में किया जाता तो पांच लाख से भी अधिक खर्च हो सकता था। चिकित्सकों का कहना है कि अब बालिका की स्थिति अच्छी है और अगले दो दिन में उसे छुट्टी दे दी जाएगी। विभागाध्यक्ष डॉ. जयप्रकाश मोदी के नेतृत्व में टीम ने यह ऑपरेशन किया था।
आधुनिक साधनों से रखी गई नजर
वैसे तो विश्व की आबादी में तीन फीसदी लोगों को स्कॉलियोसिस की कम या अधिक शिकायत होती है, लेकिन बालिका के मामले में यह स्थिति काफी गंभीर थी। यदि ऑपरेशन नहीं होता तो आगामी दिनों में बालिका को गंभीर बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है। यह बालिका जन्म से ही रीढ़ की हड्डी संबंधित बीमारी से परेशान थी लेकिन छह माह बाद माता-पिता को पता चला। यहां ऑपरेशन के बाद बालिका का आधुनिक साधनों से नजर रखी गई क्योंकि रीढ़ की हड्डी से गुजरने वाली स्पाइनल कोड में किसी तरह की चोट न पहुंचे। इससे पेरालिसिस होने की ज्यादा आशंका रहती है।
डॉ. जयप्रकाश मोदी, विभागाध्यक्ष सिविल अस्पताल