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९० डिग्री तक झुकी बालिका की रीढ़ की हड्डी को किया सीधा

locationअहमदाबादPublished: Jul 13, 2019 03:50:37 pm

Submitted by:

Omprakash Sharma

अंग्रेजी के एस आकार का हो गया था कमर के ऊपर का हिस्सा, सिविल अस्पताल में किया जटिल ऑपरेशन

spinal cord

९० डिग्री तक झुकी बालिका की रीढ़ की हड्डी को किया सीधा

अहमदाबाद. शहर के सिविल अस्पताल में बारह वर्षीय एक बालिका की ९० डिग्री तक झुकी हुई रीढ़ की हड्डी को सीधा कर दिया गया। दाहोद जिले के एक गांव में रहने वाली इस बालिका की रीढ़ की हड्डी इतनी झुक गई थी कि कमर के ऊपर का पूरा शरीर अंग्रेजी के ‘एसÓ आकार का हो गया था। जिससे बालिका ही नहीं उसके माता-पिता भी काफी परेशान थे।
सिविल अस्पताल के ऑर्थोपेडिक एवं स्पाइन विभाग में की गई यह सर्जरी काफी जटिल है। चिकित्सकों के अनुसार बालिका स्कॉलियोसिस बीमारी से पीडि़त थी। इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी का विकास विचित्र तरह से होता है जिसमें हड्डी इस कदर टेढ़ी हो जाती है कि शरीर को सी आकार या फिर एस आकार का कर देती है। ऐसे में कंधे और सीने का विकास भी अनियमित हो जाता है। वैसे यह बीमारी जेनेटिक कारणों से होती है। धीरे-धीरे शरीर की नसें और स्नायुओं के विकास में रुकावट आती है। सिविल अस्पताल में पिछले दिनों भर्ती करवाई गई बालिका की भी स्थिति कुछ ऐसी ही थी। ऐसे में बालिका का ऑपरेशन किया गया और रॉड में पांच स्क्रू लगाकर हड्डी को सीधा किया। करीब पांच घंटे चले ऑपरेशन के बाद बालिका की स्थिति अच्छी बताई गई है।

निजी अस्पताल में हो सकता था पांच लाख से अधिक खर्च
शहर के सिविल अस्पताल में निशुल्क हुए इस ऑपरेशन को यदि निजी अस्पताल में किया जाता तो पांच लाख से भी अधिक खर्च हो सकता था। चिकित्सकों का कहना है कि अब बालिका की स्थिति अच्छी है और अगले दो दिन में उसे छुट्टी दे दी जाएगी। विभागाध्यक्ष डॉ. जयप्रकाश मोदी के नेतृत्व में टीम ने यह ऑपरेशन किया था।

आधुनिक साधनों से रखी गई नजर
वैसे तो विश्व की आबादी में तीन फीसदी लोगों को स्कॉलियोसिस की कम या अधिक शिकायत होती है, लेकिन बालिका के मामले में यह स्थिति काफी गंभीर थी। यदि ऑपरेशन नहीं होता तो आगामी दिनों में बालिका को गंभीर बीमारियों का शिकार होना पड़ सकता है। यह बालिका जन्म से ही रीढ़ की हड्डी संबंधित बीमारी से परेशान थी लेकिन छह माह बाद माता-पिता को पता चला। यहां ऑपरेशन के बाद बालिका का आधुनिक साधनों से नजर रखी गई क्योंकि रीढ़ की हड्डी से गुजरने वाली स्पाइनल कोड में किसी तरह की चोट न पहुंचे। इससे पेरालिसिस होने की ज्यादा आशंका रहती है।
डॉ. जयप्रकाश मोदी, विभागाध्यक्ष सिविल अस्पताल
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