उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिलों में यह अभियान चरणबद्ध तरीके से प्रारंभ किया गया जाएगा, जो भटकते मवेशियों की समस्या से निजात दिलाने और पशु नस्लों की सुधार के लिए महत्वपूर्ण बनेगी। खसीकरण अभियान राज्य में भटकते मवेशियों और विशेष तौर पर सांड़ों से आमजन को होनेवाली असुविधा हैं, जिसमें हादसों का शिकार और कभीकभार मृत्यु की घटनाएं और खेतों में मवेशियों के घुसने से होनेवाले नुकसान में मददगार होगा।
कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने सभी गौशालाओं और पांजरापोल से जुड़े जीवदया दाताओं से सहयोग करने का आह्वान करते कहा कि आमजन को भटकते मवेशियों से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ स्थानीय दाताओं और संस्था का सहयोग जरूरी है।
इस अभियान में भटकते सांड़ों और गौशाला एवं पांजरापोळ (पिंजरापोळ) में रहने वाले बछड़ों की सर्जरी कर खसीकरण किया जाता है। इसके लिए पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों एवं अनुभवी चिकित्सों का टीम ऐसी संस्थाओं में खसीकरण कैम्प करती हैं। ऑपरेशन के बाद खसी पशुओं की देखभाल की योग्य व्यवस्था की जाती है। खसीकरण होने वाले पशुओं की आक्रामकता घटती है और वह शांत स्वभाव का हो जाता है। इसके चलते भटकते मवेशियों से हादसों की संख्या में कमी होगी । गौशालाओं और पांजरापोलों में से पशुओं की अच्छी तरीके से देखभाल हो सकेगी।
इस अभियान के तहत मोरबी में कैम्प के जरिए पचास पशुओं का खसीकरण किया जा चुका है। वहीं जूनागढ़ में 68 पशुओं और नखत्राणा में 138 पशुओं का खसीकरण किया जा चुका है।