जिले की शिनोर तहसील के बावलिया गांव के वनराजसिंह और विक्रम राष्ट्रीय परिषद में भाग लेकर प्राकृतिक खेती का वर्तमान और नए प्रवाहों की जानकारी प्राप्त कर वहां से वापस लौटने पर कार्यक्रम के संबंध में बताया। आत्मा संस्था के माध्यम से नीति आयोग ने देश के विभिन्न राज्यों के प्राकृतिक खेती में उत्कृष्ट उदाहरण पेश करने वाले किसानों की गाथा एकत्रित किया।

वनराजसिंह ने बताया कि चयनित किसानों को इस सम्मेलन में बुलाया गया था। इन सभी किसानों की सफल गाथा को संग्रहित कर विशाल पुस्तक बनाया गया है। इस कार्यक्रम में पुस्तक विमोचन किया गया। उन्होंने कहा कि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जो कि इस प्राकृतिक खेती के एक प्रबल समर्थक है, उनकी प्रेरणा और प्रयासों से प्राकृतिक खेती को व्याप दिया जा रहा है। वहीं सुभाष पालेकर, जिन्होंने गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग करके 30 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को संभव बनाया। आयोजन में प्राकृतिक रूप से गाय पालन के महत्व पर मार्गदर्शन दिया गया।

गुजरात में प्राकृतिक कृषि और गुजरात गाय पालन योजना को प्रोत्साहित किया गया, जिसकी वजह से देश के विभिन्न राज्यों ने भी इस योजना में बहुत रुचि दिखाई और इसे लागू करने के लिए तत्परता दिखाई। शिविर में केन्द्र सरकार के कृषि सं संबंधित विीाागों के मंत्री, सचिव उपस्थित रहे।
वहीं पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसमें वर्चुअल सहभागिता की। कार्यक्रम में देश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने समेत रासायनिक खाद के विकल्प के तौर पर प्राकृतिक खेती में आगे बढऩे को लेकर विमर्श किया गया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने गंगा और नर्मदा नदी के दोनों छोर पर 5-5 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती विकसित करने और लोकमाता को निर्मल रखने की रूपरेखा प्रस्तुत की।