सर्जरी की प्लानिंग थी चुनौती
सिविल अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु पंचाल ने बताया कि कूबड़ के कारण रीढ़ की हड्डी 90 एंगल में हो चुकी थी। इस तरह के ऑपरेशन के लिए प्लानिंग भी चुनौती थी। ऑपरेशन के दौरान रीढ़ की हड्डी को सामान्य रूप देने के लिए रोड रोटेशन टेक्निक का उपयोग किया गया। कमर से लेकर ऊपर तक रीढ़ की हड्डी में 20 स्क्रू लगाए गए। शरीर के बैलेंस को ठीक करने के लिए मसल्स कूबड़ को करेक्ट किया गया। हाल में बालिका की हालत में सुधार बताया गया है। इस ऑपरेशन में पांच से छह घंटे का समय लगा।
सिविल अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु पंचाल ने बताया कि कूबड़ के कारण रीढ़ की हड्डी 90 एंगल में हो चुकी थी। इस तरह के ऑपरेशन के लिए प्लानिंग भी चुनौती थी। ऑपरेशन के दौरान रीढ़ की हड्डी को सामान्य रूप देने के लिए रोड रोटेशन टेक्निक का उपयोग किया गया। कमर से लेकर ऊपर तक रीढ़ की हड्डी में 20 स्क्रू लगाए गए। शरीर के बैलेंस को ठीक करने के लिए मसल्स कूबड़ को करेक्ट किया गया। हाल में बालिका की हालत में सुधार बताया गया है। इस ऑपरेशन में पांच से छह घंटे का समय लगा।
आरबीएसके योजना से 3400 बालकों का उपचार
सिविल अस्पताल में न सिर्फ गुजरात से बल्कि अन्य राज्यों से भी मरीज उपचार के लिए आते हैं। आरबीएसके योजना के अन्तर्गत पिछले पांच वर्ष में 3400 बच्चों का सफल उपचार किया गया। तलाजा की बालिका की ही तरह अन्य तीन बालिकाओं का भी कूबड़ संबंधित सफल ऑपरेशन किए गए।
डॉ. राकेश जोशी, चिकित्सा अधीक्षक सिविल अस्पताल
सिविल अस्पताल में न सिर्फ गुजरात से बल्कि अन्य राज्यों से भी मरीज उपचार के लिए आते हैं। आरबीएसके योजना के अन्तर्गत पिछले पांच वर्ष में 3400 बच्चों का सफल उपचार किया गया। तलाजा की बालिका की ही तरह अन्य तीन बालिकाओं का भी कूबड़ संबंधित सफल ऑपरेशन किए गए।
डॉ. राकेश जोशी, चिकित्सा अधीक्षक सिविल अस्पताल