गांठ को निकालने के बाद रीकंस्ट्रेक्शन करना था चुनौती
बड़े आकार की गांठ को निकालने के बाद रीकंस्ट्रेक्शन करना बड़ी चुनौती थी। इतने बड़े हिस्से को ढंकने के लिए त्वचा मिलने की समस्या थी। लेकिन प्लास्टिक सर्जरी विभाग की टीम के साथ मिलकर इसका तोड़ निकाला गया। हालांकि यह सर्जरी नौ घंटे तक चली। तीन घंटे से अधिक चलने वाली सर्जरी को सुप्रो मैजर सर्जरी कहा जाता है। इससे पहले गले के भाग में इतनी बड़ी गांठ का ऑपरेशन कभी नहीं किया और न ही चिकित्सकीय साहित्य में इतनी बड़ी गांठ का कभी उल्लेख हुआ है।
डॉ. प्रियांक राठौड़, हेड एंड नेक सर्जन जीसीआरआई
बड़े आकार की गांठ को निकालने के बाद रीकंस्ट्रेक्शन करना बड़ी चुनौती थी। इतने बड़े हिस्से को ढंकने के लिए त्वचा मिलने की समस्या थी। लेकिन प्लास्टिक सर्जरी विभाग की टीम के साथ मिलकर इसका तोड़ निकाला गया। हालांकि यह सर्जरी नौ घंटे तक चली। तीन घंटे से अधिक चलने वाली सर्जरी को सुप्रो मैजर सर्जरी कहा जाता है। इससे पहले गले के भाग में इतनी बड़ी गांठ का ऑपरेशन कभी नहीं किया और न ही चिकित्सकीय साहित्य में इतनी बड़ी गांठ का कभी उल्लेख हुआ है।
डॉ. प्रियांक राठौड़, हेड एंड नेक सर्जन जीसीआरआई
चुनौती भरी लेकिन सफल सर्जरी महिला के गले के भाग में इतनी बड़ी गांठ की सर्जरी वैसे तो चुनौती भरी थी लेकिन जीसीआरआई के कुशल चिकित्सकों की टीम ने इसे सफलता पूर्वक किया। किसी निजी अस्पताल में यह सर्जरी होती तो संभवत: पांच लाख रुपए तक खर्च आ सकता था लेकिन पीएमजेएवाई योजना के अन्तर्गत जीसीआरआई में यह निशुल्क किया गया। अस्पताल में गरीब लोगों का निशुल्क उपचार होना संतोष दिलाता है।
डॉ. शशांक पंड्या, निदेशक जीसीआरआई