एडवोकेट प्रिया गांधीनगर स्थित गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) में सरोगेसी के कानून, नैतिक और व्यवहारिक पहलुओं पर चर्चा कर रही थीं।उन्होंने कहा कि इस कानून में कई विशिष्ट प्रावधान हैं, जिसमें महिलाओं की गोपनीयता का अधिकार, शारीरिक स्वायत्तता, प्रजनन चुनने के अधिकारों का उल्लंघन है। कई ऐसे राज्य हैं जहां अभी भी इस कानून के प्रति उदासीनता बरती जा रही है। इसका कारण है कि अब तक इस कानून को क्रियान्वित करने के लिए न ही सरोगेसी बोर्ड की स्थापना हुई है और न ही किसी योग्य प्राधिकरण की नियुक्ति हुई है। यह कानून परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है, लेकिन सरोगेसी कारोबार को प्रतिबंधित करता है।
सरोगेसी के आर्थिक पहलुओं पर चर्चा करते प्रोफेसर संदीपा भट्ट ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2012 में भारत में करीब ढाई बिलियन अमरीकी डॉलर का कारोबार था। मौजूदा कानून के बजाय सरोगेसी कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। सरोगेसी विशेषज्ञ डॉ. नयना पटेल ने सरोगेसी अधिनियम पर अपने विचार व्यक्त किए।