ऐसे बनती है सुखड़ी अक्षयपात्र संस्था की ओर से बनाई गई सुखड़ी लोगों के घर में भी नहीं बनती है। यह सुखड़ी शुद्ध घी, गुड़, गेहूं के आटे और मूंगफली से बनाई जाती है। इसका स्वाद ऐसा लगता है जैसे इसे किसी कुशल गृहिणी ने बनाया हो। इसलिए बच्चे भी इसे खुशी-खुशी खाकर स्वस्थ हो रहे हैं। कलक्टर ने लक्ष्य के अनुरूप बच्चों को घर पर या भोजन के दौरान सुखड़ी देने के निर्देश समेकित बाल विकास कार्यक्रम के अधिकारियों को दिए हैं।
सप्ताह में तीन बार में प्रति बच्चे को देते हैं 150-200 ग्राम सुखड़ी यह सुखाड़ी सप्ताह में तीन बार दी जा रही है। यानी एक सप्ताह में एक बच्चे को 150 से 200 ग्राम सुखड़ी पूरक आहार के तौर पर दी जा रही है। बच्चों को यह सुखड़ी भोजन के साथ खिलाई जाती है।
एक राउंड में बनती है 500 किलो सुखड़ी, अब तक पांच राउड पूरे अक्षयपात्र संस्था की ओर से एक राउंड में 500 किलो सुखड़ी बनाई जाती है। जिला प्रशासन के सहयोग से आंगनबाडिय़ों में यह सुखड़ी वितरित की जाती है। अब तक ऐसे पांच राउंड में सुखड़ी वितरित की गई है यानी 2500 किलो सुखड़ी पूरक आहार के तौर पर बच्चों को दी गई है। प्रत्येक बच्चे को तन्दुरस्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के संकल्प को साकार करने के लिए वडोदरा जिला प्रशासन की ओर से शुरू किए गए अभियान में भी जनभागीदारी भी मिल रही है।