प्रसिद्ध तीन मेलों में शामिल है तरणेतर का मेला :
सौराष्ट्र के तीन महत्वपूर्ण मेलों में भी इस मेले की गिनती होती है, जिनमें जूनागढ़ का भवनाथ मेला, घेड़ प्रदेश का माधवपुर का मेला और पांचाल का तरणेतर मेला शामिल हैं। तरणेतर का मेला रंग का मेला है, जबकि माधवपुर का मेला रूप का और भवनाथ का शिवरात्रि मेला भक्ति का मेला है।
पांचाल की धरती पर खेल-कूद की स्पर्धाएं लुप्त होती जा रहा है, जिन्हें पुन: जीवित करने के लिए गुजरात खेल-कूद प्राधिकरण की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। मेले में स्थानीय अग्रणियों के सहयोग से ग्रामीण खेल-कूद उत्सव का आयोजन किया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से पशु प्रदर्शनी स्पर्धा आयोजित की जाएगी, जिसके पशुपालक भी अच्छी नश्ल के पशु पालने के लिए प्रेरित हो सकें।
जब भगवान विष्णु ने चढ़ाया एक नेत्र :
स्कंध पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की और उन्हें १००१ कमल चढ़ाने थे। प्रतिमा पर एक हजार कमल हो गए, लेकिन एक कमल कम पड़ा तो भगवान ने अपना नेत्र शिवजी को चढ़ा दिया था। तब से ही त्रिनेत्रेश्वर कहा जाता है। मंदिर के निकट स्थित कुंड में स्नान करने व भगवान शिव के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं।
जिला कलक्टर के. राजेश की अगुवाई में जिला प्रशासन तंत्र व जिला पुलिस प्रशासन की ओर से मेले की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया।