मूलत: राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले शीशपालसिंह में योग के प्रति खासी रुचि थी। वे अक्सर टेलीविजन पर बाबा रामदेव को योग करते हुए दिखते थे। इसके चलते उन्हें भी योग के प्रति रुचि जगी और उन्होंने बाबा रामदेव के हरिद्वार स्थित आश्रम से एक माह तक योग का प्रशिक्षण लिया। बाद में उन्होंने योग को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया और योग के प्रति अपना जीवन समर्पित होने का मन बना लिया। गुजरात में उन्होंने योग का खासा प्रचार किया है। इसके चलते ही वर्ष 2019 में जब गुजरात राज्य योग बोर्ड का गठन हुआ तो राज्य सरकार ने उन्हें बोर्ड का चेयरमैन बनाया।
उन्होंने कहा कि राज्यभर में योग के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए योग बोर्ड लगातार प्रयास कर रहा है। फिलहाल राज्य के 33 जिलों में 750 योग प्रशिक्षकों को तैयार किया गया है। इन योग के प्रशिक्षकों के जरिए योग में रुचि रखने वालों को 30 दिनों मतलब कि 100 घंटे का प्रशिक्षण देकर अब तक 50 हजार योग शिक्षकों को तैयार किया गया है।
वे बताते हैं कि राज्य के महानगरों और जिलों में साठ से ज्यादा योग संवाद बैठक की हैं, जिसमें योग का प्रचा किया गया। कोरोना महामारी में जब लोकडाउन था उस समय भी सोशल मीडिया के जरिए भी योग प्रशिक्षण दिया गया। मौजूदा समय में भी सोशल मीडिया के जरिए योग शिविर किए जाते हैं। इस दौरान आमजन की समस्याएं सुनी जाती हैं और उनका निपटारा किया जाता है। साथ ही अपनी सोसायटी- बाग-बगीचों में योग शिविर प्रारंभ करने मार्गदर्शन दिया जाता है।
विद्यार्थियों को योग का प्रशिक्षण देने के लिए जीटीयू से एमओयू
राजपूत ने बताया कि योग के प्रचार के लिए गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) के साथ योग बोर्ड का एमओयू हुआ है, जिसमें योग से प्रशिक्षण शिविर के आयोजन, योग के अल्पकालीन प्रशिक्षण शिविर और योग स्पद्र्धा आयोजन होगा। इसके अलावा गुजरात की अन्य स्कूलों और कॉलेजों में भी योग प्रशिक्षण शिविर चलाए जाते हैं।