वडोदरा जिले की डभोई तहसील के भावपुरा गांव के किसान महेश चुनीभाई पटेल ने अपनी ५२ बीघे जमीन में थाईलैंड देश में पकने वाले अमरूद की खेती की है।
ऐसे आया खेती का विचार
किसान महेशभाई पटेल का कहना है कि यूं तो वह पहले से ही जमीन में अलग-अलग प्रकार की खेती करते थे, लेकिन थाई अमरूद की खेती वर्ष २०११ से शुरू की थी। वर्ष २०११ में वह छत्तीसगढ़ के दौरे पर गए तो रायपुर गांव के निकट उन्हें बड़े-बड़े अमरूद दिखाई दिए। ५०० ग्राम से लेकर एक किलो २०० ग्राम तक वजन के अमरूदों को देखकर उन्हें चखने की इच्छा हुई तो उन्होंने अमरूद खरीदे। स्वाद में मीठे लगे तो उन्होंने अमरूदों के बारे में विस्तार से जानने का प्रयास किया और पौधों के बारे में पूछा था।
भाव हुआ तो पता चला कि रायपुर से डभोई तक एक पौधे का खर्च १८० रुपए होगा। उन्होंने अपनी ५२ बीघे जमीन में अमरूद की खेती करने केलिए ८०० टन पौधे खरीदे और खेती की जानकारी हासिल करके बुवाई कर दी।
व्यवस्थित पौधे रोपने के बाद देशी व अन्य खाद दिए और दूसरे वर्ष में ही फल लग गए थे। इस अमरूद में देशी खाद का उपयोग किया जाए तो फल ज्यादा मीठा व स्वादिष्ट होता है। भाव भी ७० से १०० रुपए किलो होने के कारण अच्छी आवक होने लगी है।
थाईलैंड अमरूद तैयार होने के बाद उसपर नेट लगाने से फल में दाग नहीं लगता है और पेपर लगाने से सूर्य की धूप से बचाया जा सकता है।
किसान परेशभाई पटेल का कहना है कि थाईलैंड अमरूद की खेती गुजरात में शायद यहीं पर होती है। रायपुर से इसके पौधे लाए गए थे।