यह थी समस्या
अस्पताल के बाल हृदय रोग विभाग के चिकित्सक डॉ. भाविक चांपानेरी ने बताया कि जांच में देवर्ष को कंजेनाइटल पोर्टो-सिस्टेमिक शंट्स नामक बीमारी की पुष्टि हुई थी। आमतौर पर अशुद्ध रक्त को लीवर शुद्ध करता है और फिर शुद्ध रक्त फेफड़े और हृदय में जाता है। देवर्ष का मामला भिन्न था। लीवर में शुद्ध रक्त पहुंचाने वाली नली और हृदय में शुद्ध रक्त पहुंचाने वाली नली के बीच एबनॉर्मल कनेक्शन था, जिससे अशुद्ध हुआ रक्त मार्ग बदलकर हृदय और फेफड़े में पहुंचता था। इसके कारण फेफड़े की नली चौड़ी होती गई और बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन की कमी आने लगी थी। स्थिति यह थी कि समय रहते उपचार नहीं किया जाता तो मौत भी हो सकती थी।
अस्पताल के बाल हृदय रोग विभाग के चिकित्सक डॉ. भाविक चांपानेरी ने बताया कि जांच में देवर्ष को कंजेनाइटल पोर्टो-सिस्टेमिक शंट्स नामक बीमारी की पुष्टि हुई थी। आमतौर पर अशुद्ध रक्त को लीवर शुद्ध करता है और फिर शुद्ध रक्त फेफड़े और हृदय में जाता है। देवर्ष का मामला भिन्न था। लीवर में शुद्ध रक्त पहुंचाने वाली नली और हृदय में शुद्ध रक्त पहुंचाने वाली नली के बीच एबनॉर्मल कनेक्शन था, जिससे अशुद्ध हुआ रक्त मार्ग बदलकर हृदय और फेफड़े में पहुंचता था। इसके कारण फेफड़े की नली चौड़ी होती गई और बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन की कमी आने लगी थी। स्थिति यह थी कि समय रहते उपचार नहीं किया जाता तो मौत भी हो सकती थी।