scriptबच्चे को थी खराब ब्लड सर्कुलेशन की परेशानी, हुआ मुफ्त इलाज | The child had trouble with poor blood circulation, got free treatment | Patrika News

बच्चे को थी खराब ब्लड सर्कुलेशन की परेशानी, हुआ मुफ्त इलाज

locationअहमदाबादPublished: Oct 21, 2021 11:07:08 pm

Submitted by:

MOHIT SHARMA

यूएन मेहता अस्पताल में एडवांस की-होल तकनीक से किया जटिल ऑपरेशन

बच्चे को थी खराब ब्लड सर्कुलेशन की परेशानी, हुआ मुफ्त इलाज

बच्चे को थी खराब ब्लड सर्कुलेशन की परेशानी, हुआ मुफ्त इलाज

अहमदाबाद. सात वर्ष के बच्चे को शरीर में अशुद्ध रक्त के संचरण की समस्या से यूएन मेहता अस्पताल के चिकित्सकों ने निजात दिला दी। दरअसल इस बच्चे के अशुद्ध रक्त के संचार होने के कारण ऑक्सीजन का स्तर ६० से ७० फीसदी तक रह गया था। सिविल मेडिसिटी कैंपस स्थित यूएन मेहता अस्पताल में एडवांस की-होल तकनीक से ऑपरेशन कर बच्चे को इस गंभीर समस्या से मुक्ति दिलाई गई। लाखों रुपए में होने वाला यह जटिल ऑपरेशन स्कूल हेल्थ प्रोग्राम में निशुल्क किया गया। महेसाणा जिले के देवर्ष पटेल (७) नामक बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण परिजनों ने स्थानीय अस्पतालों में संपर्क किया गया। जटिल समस्या के चलते इस बच्चे को अहमदाबाद के सिविल (मेडिसिटी) कैंपस स्थित यूएन मेहता अस्पताल भेजा गया। गहन जांच के बाद लीवर संबंधित समस्या नजर आई। जिसका असर देवर्ष के हृदय और फेफड़ों पर पहुंचने लगा था। आधुनिक तकनीक से अस्पताल में बालक को पीड़ा मुक्त किया गया।डॉ. भाविक चांपानेरी ने बताया कि चिकित्सकों की टीम ने बच्चे का ऑपरेशन एडवांस की-होल पद्धति से करनेका निर्णय किया। इस तकनीक की मदद से मेटल डिवाइस का उपयोग किया गया। ऐसे मामलों में सर्जरी करने के बाद ***** को बंद भी करने की जरूरत होती है। चिकित्सकों का कहना है कि बिना टांके लिए या ओपन सर्जरी के बिना ही यह उपचार सफलता पूर्वक कर दिया गया। इस तकनीक के माध्यम से हाथ, पैर या गले की नस से होकर खामीयुक्त भाग तक डिवाइस पहुंचाया जाता है। फिलहाल बालक की हालत ठीक हो गई और उसे छुट्टी भी दे दी गई। स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के अन्तर्गत इस अस्पताल में अब तक ११ हजार से अधिक बच्चों का निशुल्क उपचार किया जा चुका है।
यह थी समस्या
अस्पताल के बाल हृदय रोग विभाग के चिकित्सक डॉ. भाविक चांपानेरी ने बताया कि जांच में देवर्ष को कंजेनाइटल पोर्टो-सिस्टेमिक शंट्स नामक बीमारी की पुष्टि हुई थी। आमतौर पर अशुद्ध रक्त को लीवर शुद्ध करता है और फिर शुद्ध रक्त फेफड़े और हृदय में जाता है। देवर्ष का मामला भिन्न था। लीवर में शुद्ध रक्त पहुंचाने वाली नली और हृदय में शुद्ध रक्त पहुंचाने वाली नली के बीच एबनॉर्मल कनेक्शन था, जिससे अशुद्ध हुआ रक्त मार्ग बदलकर हृदय और फेफड़े में पहुंचता था। इसके कारण फेफड़े की नली चौड़ी होती गई और बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन की कमी आने लगी थी। स्थिति यह थी कि समय रहते उपचार नहीं किया जाता तो मौत भी हो सकती थी।
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