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सरकारी जमीन का किया व्यवसायीकरण : सूरजेवाला

locationअहमदाबादPublished: Dec 07, 2017 09:34:09 pm

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीपसिंह सूरजेवाला ने गुजरात सरकार पर परिवहन सेवाओं में वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के बोलबाला का आरोप लगाते हुए कहा क

The commercialization of government land: Surajwala

The commercialization of government land: Surajwala

अहमदाबाद।कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीपसिंह सूरजेवाला ने गुजरात सरकार पर परिवहन सेवाओं में वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के बोलबाला का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से संचालित परिवहन सेवाओं में न केवल सौ फीसदी कटौती कर दी गई, बल्कि हजारों करोड़ के राजस्व का इस्तेमाल का सब्सिडी देने व नुकसान उठाने में लगा दिया।


उन्होंने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जहां गुजरात राज्य सडक़ परिवहन निगम (जीएसआरटीसी) की वर्ष 1994 में 7853 बसें थी और 70442 फेरे लगते थे। वहीं वर्ष 201७ में बसें घटकर 6943 हो गईं तो फेरे 44,700 रह गए। जहां 1994 तक कांग्रेस शासन के दौरान सरकारी बसें 18225 गांवों में पहुंचती थी।


वहीं ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों की अवहेलना के चलते मौजदा समय में सरकारी बसें 9 हजार तक भी नहीं पहुंच पा रही। उन्होंने कहा कि जहां जीएसआरटीसी का वर्ष १९६० -94 तक 35 वर्षों में 389 करोड़ रुपए का घाटा था, जो 1996-97 से 2016-17 तक घाटा 2971 करोड़ हो गया। यदि कर्मचारियों की बात की जाए तो जहां जीएसआरटीसी में 22 वर्ष पहले 1994-95 तक 5500 कर्मचारी थी, जो 16-17 में 44000 ही रह गए।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी बस अड्डों की महंगी व्यवसायिक जमीन को निजी जन भागीदारी से दे दिया गया, लेकिन जनता को उसका बिलकुल फायदा नहीं हुआ। अहमदाबाद का गीता मंदिर बस अड्डा, राणिप बस अड्डा, वडोदरा का रेसकोर्स बस अड्डा और मकरपुर बस अड्डा तथा मेहसाणा का बस अड्डा निजी कम्पनियों को सौंप दिया गया। वाणिज्यिक जमीन के बदले ये निजी कम्पनियों केवल बस अड्डे की मेन्टेनेन्स बिजली और पानी के लिए जिम्मेदार हैं। अब सवाल यह है कि क्या इससे आम जनमानस को कोई लाभ हुआ?

 

अहमदाबाद का गीता मंदिर बस अड्डा, राणिप बस अड्डा, वडोदरा का रेसकोर्स बस अड्डा और मकरपुर बस अड्डा तथा मेहसाणा का बस अड्डा निजी कम्पनियों को सौंप दिया गया। वाणिज्यिक जमीन के बदले ये निजी कम्पनियों केवल बस अड्डे की मेन्टेनेन्स बिजली और पानी के लिए जिम्मेदार हैं। अब सवाल यह है कि क्या इससे आम जनमानस को कोई लाभ हुआ?

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