विश्व पर्यटन बाजार में ग्रामीण पर्यटन भारत को अलग पहचान दिला सकता है। गांवों में बेरोजगारी का दबाव कम होगा और ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं का पलायन भी रुकेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों का अधिक विकास होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा साझा संस्कृति का विकास भी होगा।
गांव के लोगों के जीवन स्तर उठाने तथा उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे में हस्तशिल्प, दस्तकारी, स्थानीय उत्पाद, बुनकरों और कारीगरों का हुनर देश-विदेश तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। इससे ग्रामीणों में आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा और विदेशी मुद्रा अर्जन को भी बल मिलेगा।
जोधपुर से 40 किमी दूर विष्णु गांव में विश्नोई लोगों प्रकृति प्रेम, छोटाराम प्रजापत का होमस्टे में राजस्थानी आतिथ्य के साथ स्वादिष्ट घर का भोजन, लोक नृत्य, ऊंट सफारी आदि।
आगरा के बाह में चंबल सफारी लॉज और चंबल वाइल्डलाइफ सफारी लॉज, बरारा के टूरिस्ट विलेज में विशिष्ट बृज संस्कृति, कोराई गांव का लोक नृत्य आदि काफी चर्चित है। गुजरात
कच्छ के रण में कारीगर गांवों के साथ-साथ क्षेत्र के प्रसिद्ध नमक रेगिस्तान की यात्रा के साथ होदका गांव रिसॉर्ट, शाम-ए-सरहद में मिट्टी की झोपडिय़ां काफी चर्चित हैं।
इतमेनन लॉज में हरे-भरे खेतों के बीच स्टाइलिश बुटीक कॉटेज का लुत्फ, गायों का दूध निकालने से लेकर अन्य कृषि कार्यों का आनंद ले सकते हैं। पश्चिम बंगाल
सुंदरवन में बाली द्वीप पर तोरा इको रिजॉर्ट में धान के खेतों के बीच जातीय कॉटेज में मेहमान नवाजी। यहां मछली पकडऩे से लेकर बाघ का सामना तक किया जा सकता है।
नाग टिब्बा तक ट्रेकिंग मार्ग, गढ़वाली कॉटेज, संपत्ति पर जैविक खेती के अलावा ताजी खाद्य सामग्री के स्थानीय व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं और वैराग्य का महत्व भी समझ सकते हैं। छत्तीसगढ़
मैकल पहाडिय़ों में बसा यह खूबसूरती, बैगा और गोंड आदिवासी गांवों का दौरा, भोरमदेव मंदिर परिसर, स्थानीय कलाकृतियों और भित्ति चित्रों को देखा जा सकता है।
दिरांग घाटी में नदी के किनारे बसा दिरांग बुटीक कॉटेज, हॉलिडे स्काउट प्रमुख है। यहां मोनपा आदिवासी ग्रामीणों का आतिथ्य सत्कार, पारंपरिक मोमोज, याक के दूध का मक्खन, बौद्ध मठों की यात्रा चर्चित हैं।
पुरुषवाड़ी ग्रासरूट्स, जून में जुगनू देखना और चावल की खेती का मजा, वार्ली कला कार्यशालाओं और लेखकों के रिट्रीट जैसे क्यूरेटेड अनुभवों के साथ-साथ मेहमानों के हितों का आयोजन।