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अमीरों की चाहत बना ‘गरीबों का भोजन’ और आवास

locationअहमदाबादPublished: Nov 11, 2021 12:22:04 am

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

शहरी लोगों को रेस्टोरेंट के व्यंजनों की अपेक्षा गांव में मक्के की रोटी आ रही रास
ग्रामीण पर्यटन रोजगार के साथ बढ़ा रहा ग्रामीणों का आत्मविश्वास
खेतों में आलू, मूंगफली भूनकर चटनी के साथ खाने का लुत्फ भी
गांवों से पलायन रुकने के साथ रोजगार के नए विकल्प भी खुल रहे

अमीरों की चाहत बना 'गरीबों का भोजन' और आवास

अमीरों की चाहत बना ‘गरीबों का भोजन’ और आवास

अरुण कुमार
जयपुर. हैल्दी या फास्ट फूड के नाम पर अनहैल्दी फूड खाकर सेहत खराब कर चुके लोग अब देसी, सादे और पौष्टिक भोजन की तरफ भागने लगे हैं। कोरोना ने लोगों को खान-पान, सैर-सपाटा और हवा-पानी को लेकर इतना चूजी बना दिया है कि वे स्वास्थ्य को लेकर कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं। ऐसे लोग अब रेस्टोरेंट न जाकर ऐसे गांव जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं जहां उन्हें स्वच्छ हवा-पानी, चूल्हे की शुद्ध मोटी रोटियां, एकाध सब्जी, चटनी या हांडी का दही मिल सके। वे खेत में आलू, मूंगफली भूनकर चटनी के साथ खाने का लुत्फ उठाना ज्यादा लजीज समझते हैं। रेस्टोरेंट में पांच तरह के व्यंजनों की अपेक्षा उन्हें गांव में मक्के की रोटी और सरसों का साग बगीचे या खेत की मेढ़ पर बैठकर खाना ज्यादा रास आ रहा है।
हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्य ऐसे ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं। मोटे अनाजों की पौष्टिकता के कारण शहरों के बड़े- बड़े रेस्टोरेंट में ज्वार, मक्का, बाजरा, बेसन की रोटियों का चलन बढ़ा है। यह गंवही पर्यटन एक ऐसी संस्कृति को भी जन्म दे रहा है, जहां शांति, सुकून और शुद्धता के साथ ग्रामीण महिलाओं की आखोंं में आत्मनिर्भरता की अलख भी दिखाई दे रही है। इससे ग्रामीण जीवन, कला और संस्कृति के साथ स्थानीय लोगों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए भी प्रेरित करता है।
अमीरों की चाहत बना 'गरीबों का भोजन' और आवास
रुकेगा पलायन, बढ़ेगा रोजगार
विश्व पर्यटन बाजार में ग्रामीण पर्यटन भारत को अलग पहचान दिला सकता है। गांवों में बेरोजगारी का दबाव कम होगा और ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं का पलायन भी रुकेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों का अधिक विकास होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा साझा संस्कृति का विकास भी होगा।
भारतीय हुनर को बढ़ावा
गांव के लोगों के जीवन स्तर उठाने तथा उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे में हस्तशिल्प, दस्तकारी, स्थानीय उत्पाद, बुनकरों और कारीगरों का हुनर देश-विदेश तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। इससे ग्रामीणों में आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा और विदेशी मुद्रा अर्जन को भी बल मिलेगा।
किस राज्य में कहां ग्रामीण पर्यटन

राजस्थान
जोधपुर से 40 किमी दूर विष्णु गांव में विश्नोई लोगों प्रकृति प्रेम, छोटाराम प्रजापत का होमस्टे में राजस्थानी आतिथ्य के साथ स्वादिष्ट घर का भोजन, लोक नृत्य, ऊंट सफारी आदि।
उत्तर प्रदेश
आगरा के बाह में चंबल सफारी लॉज और चंबल वाइल्डलाइफ सफारी लॉज, बरारा के टूरिस्ट विलेज में विशिष्ट बृज संस्कृति, कोराई गांव का लोक नृत्य आदि काफी चर्चित है।

गुजरात
कच्छ के रण में कारीगर गांवों के साथ-साथ क्षेत्र के प्रसिद्ध नमक रेगिस्तान की यात्रा के साथ होदका गांव रिसॉर्ट, शाम-ए-सरहद में मिट्टी की झोपडिय़ां काफी चर्चित हैं।
पंजाब
इतमेनन लॉज में हरे-भरे खेतों के बीच स्टाइलिश बुटीक कॉटेज का लुत्फ, गायों का दूध निकालने से लेकर अन्य कृषि कार्यों का आनंद ले सकते हैं।

पश्चिम बंगाल
सुंदरवन में बाली द्वीप पर तोरा इको रिजॉर्ट में धान के खेतों के बीच जातीय कॉटेज में मेहमान नवाजी। यहां मछली पकडऩे से लेकर बाघ का सामना तक किया जा सकता है।
उत्तराखंड
नाग टिब्बा तक ट्रेकिंग मार्ग, गढ़वाली कॉटेज, संपत्ति पर जैविक खेती के अलावा ताजी खाद्य सामग्री के स्थानीय व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं और वैराग्य का महत्व भी समझ सकते हैं।

छत्तीसगढ़
मैकल पहाडिय़ों में बसा यह खूबसूरती, बैगा और गोंड आदिवासी गांवों का दौरा, भोरमदेव मंदिर परिसर, स्थानीय कलाकृतियों और भित्ति चित्रों को देखा जा सकता है।
अरुणाचल प्रदेश
दिरांग घाटी में नदी के किनारे बसा दिरांग बुटीक कॉटेज, हॉलिडे स्काउट प्रमुख है। यहां मोनपा आदिवासी ग्रामीणों का आतिथ्य सत्कार, पारंपरिक मोमोज, याक के दूध का मक्खन, बौद्ध मठों की यात्रा चर्चित हैं।
महाराष्ट्र
पुरुषवाड़ी ग्रासरूट्स, जून में जुगनू देखना और चावल की खेती का मजा, वार्ली कला कार्यशालाओं और लेखकों के रिट्रीट जैसे क्यूरेटेड अनुभवों के साथ-साथ मेहमानों के हितों का आयोजन।

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