लॉकडाउन के दौरान चला असली जायके का पता
सोमाणी बताते हैं कि कोरोना के दौरान लॉकडाउन में लोग घरों में बंद रहे। बाजार में पिज्जा, बर्गर, इटालियन, मैक्सिकन फूड उन्हें नहीं मिला। विशेषकर युवाओं को। ऐसे में उन्हें मजबूरी में ही सही घर में बनी आलू की सब्जी, भिंडी, बैगन की सब्जी, दालें, मिक्स सब्जी, दलहन की सब्जी खानी पड़ी, जिससे उन्हें इसके जायके का, स्वाद का पता चला। नाश्ते में पोहा, कचौड़ी, समोसा, खमण, ढोकला खाया। अब वे इसकी डिमांड करने लगे हैं।
युवाओं के लिए फ्यूजन का तडक़ा
ट्रेडिशनल खाने से युवा पीढ़ी को जोडऩे के लिए कैटरर्स पारंपरिक व्यंजनों में फ्यूजन का तडक़ा लगा रहे हैं। नए लुक के साथ उसे परोसा जा रहा है। जैसे मक्के की रोटी-सरसों के शाक को अब छोटा कर स्टार्टर के रूप में परोसा जा रहा है। इसी प्रकार से बाजरे की रोटी और बैगन की सब्जी को भी आकार में छोटा कर स्टार्टर के रूप में परोसा जा रहा है।
मिठाईयों में भी जलेबी, रबड़ी, हलवा बना पसंद
एफएआईसी अहमदाबाद के अध्यक्ष परेश देसाई ने बताया कि भारत के लोगों में तो पारंपरिक खानपान की डिमांड बढ़ी है। एनआरआई लोग भी इसकी खासी डिमांड करते हैं। विशेष रूप से भारतीय मिठाईयों की जिसमें जलेबी-रबड़ी, मूंग, लौकी, गाजर का हलवा, रसगुल्ला, गुलाब जामुन आदि शामिल हैं। विदेशों में उन्हें यह कम ही खाने और देखने को मिलता है। जिससे इसकी डिमांड विशेषरूप से रहती है। वे यहां उंधियु, आलू की सब्जी, पनीर की की डिमांड करते हैं।