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कोरोना के बाद बढ़ी पारंपरिक व्यंजनों की डिमांड

locationअहमदाबादPublished: Sep 19, 2022 10:07:30 pm

Traditional food demand rise after Covid 19 विवाह समारोह सहित प्रसंगों में लोग पसंद कर रहे हैं ट्रेडिशनल व्यंजन, कैटरर्स भी युवाओं को आ•ॢषत करने को दे रहे फ्यूजन का तडक़ा

कोरोना के बाद बढ़ी पारंपरिक व्यंजनों की डिमांड

कोरोना के बाद बढ़ी पारंपरिक व्यंजनों की डिमांड

 

नगेन्द्र सिंह

Ahmedabad. कोरोना महामारी के बाद लोग अब पारंपरिक व्यंजन (ट्रेडिशनल फूड) को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इटालियन, मैक्सिकन, चाइनीज फूड, पिज्जा-बर्गर को पसंद करने वाली युवा पीढ़ी को भी कोरोना के चलते घरेलू व्यंजनों का स्वाद अब पसंद आ रहा है, जिससे विवाह समारोह हो या अन्य कोई प्रसंग लोग अब कैटरर्स से पारंपरिक व्यंजनों की डिमांड ज्यादा कर रहे हैं। यह पहले की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ गया है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया कैटरर्स (एफएआईसी) के अध्यक्ष नरेन्द्र सोमाणी ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद पारंपरिक व्यंजनों की डिमांड बढ़ी है। लोग आज रेस्टोरेंट, होटल में खाना खाने जाते हैं तो भी गुजराती, पंजाबी, साउथ इंडियन व्यंजनों की डिमांड ज्यादा कर रहे हैं। पहले वे मैक्सिकन, इटालियन, मोरक्कन, स्पेनिश, पिज्जा, बर्गर को पसंद करते थे। इतना ही नहीं विवाह समारोह हो या फिर अन्य कोई घरेलू प्रसंग-धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक प्रसंग सभी में ट्रेडिशनल खाने की डिमांड ज्यादा है। इसके डिमांड की वजह ये स्वादिष्ट तो है ही साथ ही हैल्दी भी है। कैटरर्स भी लोगों की मांग को देखते हुए राजस्थानी थाली, हैदराबादी बिरयानी व थाली, उड़ीसा, लखनऊ की थाली और व्यंजनों को परोस रहे हैं। हाल ही में आयोजित एसोसिएशन के चौथे कन्वेंशन में देशभर से आए कैटरर्स को भी इन पारंपरिक व्यंजनों को बनाने के बारे में जानकारी दी गई।

लॉकडाउन के दौरान चला असली जायके का पता
सोमाणी बताते हैं कि कोरोना के दौरान लॉकडाउन में लोग घरों में बंद रहे। बाजार में पिज्जा, बर्गर, इटालियन, मैक्सिकन फूड उन्हें नहीं मिला। विशेषकर युवाओं को। ऐसे में उन्हें मजबूरी में ही सही घर में बनी आलू की सब्जी, भिंडी, बैगन की सब्जी, दालें, मिक्स सब्जी, दलहन की सब्जी खानी पड़ी, जिससे उन्हें इसके जायके का, स्वाद का पता चला। नाश्ते में पोहा, कचौड़ी, समोसा, खमण, ढोकला खाया। अब वे इसकी डिमांड करने लगे हैं।

युवाओं के लिए फ्यूजन का तडक़ा
ट्रेडिशनल खाने से युवा पीढ़ी को जोडऩे के लिए कैटरर्स पारंपरिक व्यंजनों में फ्यूजन का तडक़ा लगा रहे हैं। नए लुक के साथ उसे परोसा जा रहा है। जैसे मक्के की रोटी-सरसों के शाक को अब छोटा कर स्टार्टर के रूप में परोसा जा रहा है। इसी प्रकार से बाजरे की रोटी और बैगन की सब्जी को भी आकार में छोटा कर स्टार्टर के रूप में परोसा जा रहा है।

मिठाईयों में भी जलेबी, रबड़ी, हलवा बना पसंद
एफएआईसी अहमदाबाद के अध्यक्ष परेश देसाई ने बताया कि भारत के लोगों में तो पारंपरिक खानपान की डिमांड बढ़ी है। एनआरआई लोग भी इसकी खासी डिमांड करते हैं। विशेष रूप से भारतीय मिठाईयों की जिसमें जलेबी-रबड़ी, मूंग, लौकी, गाजर का हलवा, रसगुल्ला, गुलाब जामुन आदि शामिल हैं। विदेशों में उन्हें यह कम ही खाने और देखने को मिलता है। जिससे इसकी डिमांड विशेषरूप से रहती है। वे यहां उंधियु, आलू की सब्जी, पनीर की की डिमांड करते हैं।

कोरोना के बाद बढ़ी पारंपरिक व्यंजनों की डिमांड

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