अध्ययन व अनुभव के आधार पर शुरू किया कोरोना का उपचार
उचित तरीके से पीपीई किट पहनने पर नहीं होता कोरोना संक्रमण
जामनगर के रीजनल नोडल अधिकारी डॉ. चटर्जी ने साझा किए 9 महीने से अधिक समय के अनुभव
डॉ. गोस्वामी ने भी रात-दिन किया मरीजों का उपचार
जिला कलक्टर ने दोनों को किया कोरोना रत्न से सम्मानित

भावना सोनी
जामनगर. कोरोना संक्रमण का शुरुआत में उपचार उपलब्ध नहीं होने के चलते मात्र अध्ययन और अनुभव के आधार पर उपचार करने वाले चिकित्सक डॉ. एस.एस. चटर्जी का कहना है कि उचित तरीके से पीपीई किट पहनने पर कोरोना संक्रमण से बचाव संभव है।
जामनगर के जी.जी. अस्पताल में जिला कोविड अस्पताल के अलावा जामनगर, देवभूमि द्वारका और पोरबंदर जिलों के रीजनल नोडल अधिकारी डॉ. एस.एस. चटर्जी ने कोरोना काल के 9 महीनों से अधिक समय के अनुभव साझा करते हुए यह बात कही। लॉकडाउन की शुरुआत में कोविड अस्पताल का अस्तित्व नहीं था, निजी अस्पताल बंद थे उस समय सीमित साधन, सुविधाओं के बावजूद कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में केवल शोध हुए थे कि कोरोना संक्रमित मरीजों को सर्दी-खांसी के लक्षण होते हैं लेकिन, जामनगर के अस्पताल में आने वाले मरीजों को बुखार, झुनझुनाहट, कमजोरी अधिक रहती थी। बच्चों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते थे। बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले भी कम ही आए। उस समय सबसे बड़ी चुनौती कितनी मात्रा में और कितने समय तक दवाई देने की थी।
डॉ. चटर्जी के अनुसार उस समय दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के उपचार के प्रयोगों और उसकी सफलता-विफलता का अध्ययन करते थे। सरकार की ओर से समय-समय पर जारी की जाने वाली मार्गदर्शिका का भी पालन करते थे। उसके अनुरूप दवाइयां, इंजेक्शन, प्लाजमा थैरेपी, ऑक्सीजन थैरेपी मरीजों को देते थे। डॉ. चटर्जी कोविड के रीजनल नोडल अधिकारी, जामनगर के एम.पी. शाह मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त अधिष्ठाता, पोरबंदर मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता और मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर (आचार्य) भी हैं।
जामनगर के कोविड अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. धर्मेश वसावडा के अनुसार कोरोना वायरस के प्रवेश के समय देशभर और गुजरात में शुरुआत में लॉकडाउन था, उस समय निजी अस्पताल बंद थे। चिकित्सक भी कोरोना वायरस से डरते थे। उस मुश्किल समय में जामनगर के अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीज आने लगे। तभी डॉ. चटर्जी ने आगे बढक़र कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार शुरू किया। कोविड अस्पताल के संस्थापक बनकर डॉ. चटर्जी ने सैनिक और सेनापति बनकर कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए दिन-रात काम शुरू किया। डॉ. चटर्जी के साथ उनके सरीखे ही सेवा को समर्पित डॉ. भूपेन्द्र गोस्वामी सहित अनेक चिकित्सक, रेजिडेंट चिकित्सक आदि भी जुड़े। कोविड अस्पताल की शुरुआत होने पर चिकित्सकों की श्रेष्ठ टीम बनती गई।
एम.पी. शाह मेडिकल कॉलेज की अधिष्ठाता डॉ. नंदिनी देसाई के अनुसार सरकार की पॉलिसी के अनुरूप कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार, ठीक होने पर घर भेजने, मृत मरीजों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार कराने के लिए भेजने, देश-दुनिया में कोरोना के बारे में होने वाले शोध और प्रयोगों पर पैनी नजर रखने का काम डॉ. चटर्जी ने किया। कोविड अस्पताल की शुरुआत नहीं होने तक सीमित साधनों और सीमित सुविधाओं के बावजूद कोरोना संक्रमण के शुरुआत के विकट दिनों में डॉ. चटर्जी सच्चे अर्थ में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में समर्पण भाव से जुटे। अन्य चिकित्सकों को भी डॉ. चटर्जी ने साथ जोडक़र एकता सूत्र में बांध लिया।
डॉ. चटर्जी की भांति ही डॉ. भूपेन्द्र गोस्वामी ने भी अपने परिवार की चिंता किए बिना दिन-रात कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में योगदान दिया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपक तिवारी के अनुसार कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की ओर से जामनगर में जिला स्तर पर कोविड अस्पताल शुरू किया गया। उपचार के लिए आवश्यक साधन-सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई। इस कारण चिकित्सकों की टीम को उपचार में सरलता रही और मरीज भी संपूर्ण उपचार का संतोष लेकर ठीक होकर घर जाते हैं। डॉ. चटर्जी व डॉ. गोस्वामी को हाल ही जिला कलक्टर रविशंकर ने कोरोना रत्न से सम्मानित किया है।
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