साइबर क्राइम ब्रांच की उपायुक्त डॉ. लवीना सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया कि सोशल मीडिया सर्वेलन्स के दौरान पता चला कि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का एक एडिट वीडियो दो सोशल मीडिया अकाउंट से वायरल किया गया था। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है। जांच में पता चला कि फेसबुक पर एक अकाउंट सतीश वणसोला और दूसरा अकाउंट आर बी बारिया के नाम से था, जिसके जरिए केन्द्रीय गृहमंत्री का एडिट वीडियो वायरल किया गया था। इन दोनों ही अकाउंट धारकों की पहचान करते हुए इन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
एक आरोपी विधायक का पीए, दूसरा एक राजनीतिक दल का जिला अध्यक्ष
प्राथमिक जांच में सामने आया कि यह दोनों ही राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं। सतीश वणसोला बनासकांठा जिले का पालनपुर की सत्कार सोसायटी का रहने वाला है, जबकि राकेश बारिया दाहोद के लीमखेड़ा में मार्केट यार्ड गेट के पास का निवासी है। इन दोनों ही के पास से मोबाइल फोन को जब्त किया गया है। दोनो फोन को जांच के लिए एफएसएल भेजा है।साइबर क्राइम ब्रांच सूत्रों के तहत वणसोला कांग्रेस के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी के छह साल से पर्सनल असिस्टैंट (पीए) है। जबकि राकेश बारिया बीते चार महीनों से आम आदमी पार्टी (आप) के दाहोद जिले का अध्यक्ष है।दो वर्गों के बीच वैमनस्य फैलाने, चुनाव प्रभावित करने की कोशिश का आरोप
साइबर क्राइम ब्रांच के तहत दोनों पर आरोप है कि दोनों ने केन्द्रीय गृहमंत्री के भाषण का एडिट वीडियो इन्होंने दो वर्गों के बीच वैमनस्य फैलाने के इरादे से वायरल किया है। इसमें एक वह जो आरक्षण प्राप्त करते हैं और दूसरा वर्ग वह जो आरक्षण प्राप्त नहीं करता है। लोकसभा चुनाव का समय है ऐसे में चुनाव प्रभावित करने के इरादे से भी इसे वायरल किया गया है। वायरल एडिट वीडियो में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भाजपा की सरकार बनने पर एससी, एसटी, ओबीसी के आरक्षण को समाप्त करने की बात कहते सुनाई देते हैं, जबकि हकीकत में उन्होंने भाषण में ऐसी बात नहीं कही थी। केन्द्रीय गृहमंत्री ने हकीकत में अपने भाषण में गैर संवैधानिक मुस्लिम आरक्षण को समाप्त करने की बात कही थी।