script‘सूमो सिस्टर’ का बेरिएट्रिक सर्जरी से दस किलो घटा वजन | Una sister lose 10 Kg weight after bariatric surgery | Patrika News

‘सूमो सिस्टर’ का बेरिएट्रिक सर्जरी से दस किलो घटा वजन

locationअहमदाबादPublished: Apr 21, 2018 11:09:17 pm

Submitted by:

Nagendra rathor

७० फीसदी आंत की कम, २ साल दिखेगा पूरा असर

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अहमदाबाद. तीन साल पहले अपने अति मोटापे के चलते चर्चा में आए गिरसोमनाथ जिले की उना तहसील के वाजडी गांव निवासी रमेश नंदवाडा के तीन ‘सूमो’ बच्चों में से दो सूमो सिस्टर योगिता (८.५ साल) व अमीषा (६.५ साल) पर बेरिएट्रिक सर्जरी होने से उनका १० किलो तक वजट घट गया है।
सर्जरी करने वाले एशियन बेरिएट्रिक के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नरवरिया ने बताया कि दो महीने पहले योगिता का वजन ५९ किलो था, जो ऑपरेशन बाद अब ५० किलो हो गया है यानी नौ किलो घटा है। जबकि अमीषा का ८२ किलो था वह अब ७२ किलो है। उसका १० किलो कम हुआ है। उन्होंने बताया कि आगामी दो साल में सर्जरी का पूरा असर होगा और अतिरिक्त ९० फीसदी वजन कम होगा, जिससे लगभग सामान्य बच्चों की तरह दिख सकेंगे। हालांकि पांच साल बाद फिर से वजन बढऩे की आशंका है। ऐसा ना हो इसलिए बच्चों को हर महीने दवाईयां दी जा रही हैं। कितना खाना दिया जाए व कैसे दिया जाए, उस बारे में भी परिजनों को बताया जा रहा है।
नरवरिया ने बताया कि उन्होंने लेप्रोस्कॉपिक स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी बेरिएट्रिक सर्जरी की है, जिसके तहत दोनों बच्चियों की आंत (स्टमक पाउच) को ७० फीसदी कम कर दिया है। आंत दो साल में फिर से बढ़ जाएगी। इससे कम खाने में ही बच्चों का पेट भर जाएगा। वह सबकुछ खा सकते हैं।
बच्चों के पिता रमेश नंदवाडा ने बताया कि सबसे बड़ी पुत्री भाविका सामान्य है। योगिता, अमीषा और हर्ष अतिमोटे हैं। इस सर्जरी से उम्मीद है मोटापा कम होता रहेगा। तीन साल पहले अहमदाबाद सिविल अस्पताल में उपचार से कुछ समय के लिए वजन घटा था।सरकार ने बीपीएल कार्ड दिया है। सिविल में उपचार दूरी ज्यादा होने से वह नहीं करा पाते हैं।
लेप्टिन हार्मोंस ही नहीं, जन्म बाद जेनेटिक म्यूटेशन!
नरवरिया ने बताया कि बच्चे जन्म के समय सामान्य वजन के थे। कुछ महीनों बाद इनके जीन्स में म्यूटेशन होने के चलते वजन बढऩे लगा। जांच में पता चला कि इनके शरीर में लेप्टिन हार्मोंस नहीं है, जो पेट भरने की सूचना मस्तिष्क तक पहुंचाता है। ऐसे में यह बच्चे कितना भी खाएं पता ही नहीं चलता था। इसका इलाज लेप्टिन हार्मोंस हैं जो भारत में उपलब्ध नहीं हंै।
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