तत्कालीन महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने वडोदरा के अनंत कृष्ण शास्त्री, सी.डी. दलाल जैसे विद्वानों की टीम बनाई थी, जिन्हें देशभर से हस्तलिपि एकत्रित करने के लिए भेजा गया था। इस दौरान अयोध्या के इतिहास की हस्तलिपि वडोदरा लाई गई थी। ओरिएन्टल इंस्टीट्यूट के पहले इन हस्तलिपि को सेन्ट्रल लाइब्रेरी के संस्कृत विभाग में संरक्षित रखा गया था।
इंस्टीट्यूट की निदेशक डॉ. श्वेता प्रजापति कहती हैं कि अयोध्या राम जन्मभूमि के मामले के बाद अयोध्या का महत्व ज्यादा बढ़ गया था। हस्तलिपि के लिखे जाने की तिथि का भी उल्लेख है। हस्तलिपि में अयोध्या और वहां बने राम मंदिर का जो वर्णन किया गया है उसका स्कंद पुराण में भी उल्लेख है। वे बताती हैं कि पहले तीर्थस्थानों का हस्तलिपि में उल्लेख करने का प्रचलन था ताकि लोगों को जानकारी मिल सके।