भाई अनिल के लिए देखना संभव नहीं डॉ. मोटवाणी ने भाई-बहन के नेत्रों का परीक्षण व जांच रिपोर्ट के बाद निष्कर्ष निकाला कि अनिल के लिए कोई उपचार नहीं है, मस्तिष्क में प्राकृतिक खामी के चलते किसी की ओर से नेत्रदान किए जाने पर भी उसके लिए देखना संभव नहीं है। वैशाली के लिए टेलिस्कोपिक चश्मे से दूर व निकट देखना संभव बताया गया।
बाजार में 8 हजार रुपए में मिलने वाला टेलिस्कोपिक चश्मा वैशाली को नि:शुल्क दिया गया। इसकी मदद से वह मात्र पांच दिन में ही एक आंख से स्पष्ट तौर पर देखने लगी और दूर खड़े व्यक्ति को पहचानने में सक्षम हो गई। जांच प्रक्रिया के दौरान कलक्टर गोर ने जिला समाज सुरक्षा विभाग की ओर से भाई-बहन को सरकार की योजना का लाभ दिलाने का निर्देश दिया।
बाजार में 8 हजार रुपए में मिलने वाला टेलिस्कोपिक चश्मा वैशाली को नि:शुल्क दिया गया। इसकी मदद से वह मात्र पांच दिन में ही एक आंख से स्पष्ट तौर पर देखने लगी और दूर खड़े व्यक्ति को पहचानने में सक्षम हो गई। जांच प्रक्रिया के दौरान कलक्टर गोर ने जिला समाज सुरक्षा विभाग की ओर से भाई-बहन को सरकार की योजना का लाभ दिलाने का निर्देश दिया।
भाई-बहन को संत सूरदास योजना के मासिक 600 रुपए का लाभ कलक्टर के निर्देश पर जिला समाज सुरक्षा अधिकारी मयंक त्रिवेदी ने तुरंत दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करते हुए भाई-बहन के लिए लाभ मंजूर किए। इस कारण मात्र पांच दिन में ही भाई-बहन को सरकार की संत सूरदास योजना के तहत मासिक 600 रुपए का लाभ मिलना आरंभ हुआ है। बाबूभाई का परिवार फॉलोअप के लिए वडोदरा पहुंचा। इस दौरान परिवार ने जिला कलक्टर गोर से मुलाकात कर आभार जताया।