अहमदाबाद

Ahmedabad : वनधन विकास योजना से आदिवासियों नहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ: कांग्रेस

गुजरात में 34800 आदिवासियों से योजना में शामिल के नाम पर लिए जा चुके हैं एक-एक हजार रुपए

अहमदाबादMay 25, 2023 / 10:48 pm

Omprakash Sharma

Ahmedabad : वनधन विकास योजना से आदिवासियों नहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ: कांग्रेस

Ahmedabad. केंद्र सरकार की वन धन विकास योजना से आदिवासियों को नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ होता है। इस योजना के अंतर्गत गुजरात के 34800 आदिवासियों को वनोपज उत्पादों के बदले से जो राशि मिली है उसे प्रतिदिन के आंकड़े से देखें हो यह महज 6.80 रुपए है। गुजरात प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पार्थिवराज कठवाडिय़ा ने वनधन विकास योजना को लेकर गुजरात सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस योजना से आदिवासियों को लाभ नहीं बल्कि नुकसान हो रहा है। गुजरात राज्य में 116 क्लस्टर (एक में 300 लोग) में 34800 आदिवासी वनधन योजना से जुड़े हैं। योजना में शामिल होने के नाम पर इन लोगों से एक-एक हजार रुपए भी लिए गए। इसके बाद ये लोग लोग शहद, विविध प्रकार के फूल, गोंद जैसे वन्य उत्पाद एकत्र कर वन्य उत्पादों को खरीदने वाली मल्टीनेशनल कंपनी को बेचते हैं। ये कंपनियां इन वस्तुओं की ब्रांडिंग कर खूब मुनाफे में बेचती है जबकि आदिवासियों से इन उत्पादों को कम कीमत में खरीदा जाता है।
ग्रांट की राशि से भी कम है परिश्रम की कमाई

प्रवक्ता कठवाडिया ने आंकड़ों के हवाले से कहा कि राज्य के आदिवासियों के पास से एक वर्ष में 874.45 लाख रुपए के वन उत्पाद खरीदे गए थे। योजना में शामिल राज्य के लोगों में इस राशि को बांटा जाए तो प्रत्येक के हिस्से में मात्र 2512 रुपए (वार्षिक) आते हैं। यह राशि प्रतिदिन के हिसाब से 6.80 रुपए होती है। दूसरी ओर सरकार इस योजना के अंतर्गत 17.40 करोड़ रुपए का अनुदान (प्रति क्लस्टर 15 लाख) रुपए का अनुदान देती है। जो गरीबों के परिश्रम से आने वाली राशि से भी ज्यादा है। यदि इसी राशि को आदिवासियों के बैंक खाते में भेजा जाए तो यह प्रति आदिवासी के लिए लगभग 5000 हजार होती है। उनका आरोप है कि गरीब आदिवासियों के परिश्रम से केवल मल्टीनेशनल कंपनियों को लाभ हो रहा है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.