सब्जियों की भरपूर पैदावार, फिर भी नहीं मिल रहे पर्याप्त भाव
लागत नहीं मिलने से किसानों में निराशा

सिलवासा. मंडियों में प्याज को छोड़कर हरी सब्जियोंं की भरमार हो गई है। लगातार गिर रहे भावों से किसानों को लागत भी नहीं मिल रही है। हरी सब्जियों के भाव सामान्य से नीचे आ गए हैं। टमाटर, लौकी, हरी मिर्च, गोभी, आलू के पर्याप्त भाव नहीं मिलने से किसान निराश हैं।
दिसम्बर के दूसरे पखवाड़े से सब्जियों के भाव 50 फीसदी गिर गए हैं। मंडियों में आवक बढऩे से टमाटर, गोभी, मूली, लौकी, हरी मिर्च, शाकवाली सब्जियों के खरीदार नहीं हैं। किसानों के अनुसार व्यापारी मंडियों में गोभी, टमाटर 5 रुपए किलों में खरीदने को तैयार नहीं हैं। सब्जियों की खेती में महंगे बीज, उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग किया जाता हैं, जिससे लागत और बढ़ जाती है। पर्याप्त भाव नहीं मिलने से सब्जियों की बुवाई अब महंगी पड़ रही है। इस बार कोरोना के चलते उद्योगों में भी रोजगार नहीं है। रोजगार के अभाव में युवा पीढ़ी ने खेतों में जमकर सब्जियों की खेती की हैं। जिले के नदी-तालाब व जलाशयों में पानी की कमी नहीं है, जिससे सब्जियों की रिकॉर्ड पैदावार हुई हैं। निकटवर्ती महाराष्ट्र और गुजरात के सीमांत गांवों में भी सब्जियों की आवक होने लगी है।
कोरोना संक्रमण के कारण होटल, उद्योगों में भी सब्जियों की खपत भी पहले जैसी नहीं है। कल-कारखाने पूर्णरूप से नहीं चल रहे हैं, जिससे बाहर से आने वाले श्रमिकों की संख्या कम हो गई है। इससे खपत पर प्रतिकूल असर पड़ा हैं।
वर्तमान समय बाजारों में आलू 20 रुपए, गोभी 20, मटर 20, ग्वारफली 30, टमाटर 10, हरी मिर्च 30, हरा धनिया 20, ककड़ी 20, लौकी 10, पेठा 10, बैंगन 20, आंवला 40, मूली 10 और गाजर 30 रुपए प्रतिकिग्रा बिक रही हैं। यहां नासिक, जव्हार और धरमपुर की मंडियों से भी सब्जियों आ रही हैं।
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