वर्ष 2003 में पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य में विदेशी पूंजीनिवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से इस सम्मेलन के आयोजन की शुरुआत की थी। शुरुआती कुछ सम्मेलनों को छोडक़र हर बार कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि होते हैं। जापान, अमरीका, ब्रिटेन सहित कई विकसित देश इसके साझीदार देश होते हैं। इस सम्मेलन में देश भर के नामी गिरामी उद्योगपति शामिल होते हैं। देश के साथ-साथ विदेशी पूंजीनिवेश को आकर्षित करने का यह बेहतर प्लेटफॉर्म है। इसे दावोस ऑफ द ईस्ट की उपाधि दी जाती रही है।
अब तक हो चुके हैं 9 सम्मेलन पहला सम्मेलन 2003 में, दूसरा सम्मेलन 2005, तीसरा 2007, चौथा 2009, पांचवां 2011, छठा 2013, सांतवां 2015, आठवां 2017 और नौवां सम्मेलन 2019 में आयोजित किया गया था। हर बार की थीम अलग रहती है। पहले और दूसरे सम्मेलन को छोडक़र अन्य सभी सम्मेलन जनवरी के दूसरे सप्ताह में आयोजित किए गए।
अन्य राज्यों ने भी की शुरुआत वाइब्रेंट गुजरात की शुरुआत होने के बाद देश के अन्य राज्यों ने भी इसी तर्ज पर निवेशक सम्मेलन की शुरुआत की। इनमें मैजेस्टिक महाराष्ट्र,
हैपेनिंग हरियाणा के साथ-साथ बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट, कर्नाटक ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट, केरल में केरल ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट, ्रओडिशा इन्वेस्टर्स समिट, ग्लोबल बिहार समिट, झारखंड, यूपी सहित कई राज्य शामिल हैं।
हैपेनिंग हरियाणा के साथ-साथ बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट, कर्नाटक ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट, केरल में केरल ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट, ्रओडिशा इन्वेस्टर्स समिट, ग्लोबल बिहार समिट, झारखंड, यूपी सहित कई राज्य शामिल हैं।
कोरोना की स्थिति पर निगाह रखी जा रही है। जैसे ही देश के साथ-साथ विदेशों में भी स्थिति मे सुधार होगा, वैसे ही वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन किया जाएगा। यह गुजरात का एक अहम इवेन्ट है और इस इवेन्ट के माध्यम से गुजरात में काफी इन्वेस्टमेन्ट हुआ है।
मनोज कुमार दास, प्रधान सचिव, उद्योग व खनिज विभाग सह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, गुजरात